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भाजपा-ग्वालियर की शान को लगा बट्टा, सवालों के घेरे में मुन्ना की नैतिकता

केंद्रीय मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर यानि हमारे मुन्ना भैया हमारे ग्वालियर शहर की शान और पहचान हैं,लेकिन उनके बेटे के एक के बाद एक विवादास्पद वीडिओ आने के बाद न केवल तोमर की बल्कि भाजपा और ग्वालियर की शान को भी बट्टा लग गया है। ये दोनों वीडियो दस हजार करोड़ रूपये के लेनदेन के बावद हैं। ये वीडियो तोमर की नैतिकता पर लगा सबसे बड़ा सवालिया निशान हैं। ये वीडियो राजनीतिक साजिश भले हों किन्तु अब तोमर जनता की नजरों में गिरकर उठने वाले नहीं हैं।

राजनीति में हालाँकि नैतिकता अब विलुप्तप्राय चिड़िया का नाम है ,किन्तु नरेंद्र सिंह तोमर जैसे नेताओं से उम्मीद की जाती है कि वे नैतिकता की इस चिड़िया को अब तक जैसे-तैसे पालकर रखे हुए होंगे। मै तो तोमर को उनके छात्र जीवन से जानता हूँ,जब वे पार्षद थे तब से मेरी उनकी निकटता रही है। हम एक-दूसरे का सम्मान भी करते रहे हैं ,लेकिन अब मेरे मन में भी उथल-पुथल है। सवाल है और मुमकिन है कि पूरे ग्वालियर के ही नहीं बल्कि पूरे देश के मन में भी ऐसी ही उथल–पुथल और सवाल होंगे।

आज से ठीक 25 साल पहले ग्वालियर की राजनीति और ग्वालियर राजघराने के सबसे निर्मल नेता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के खिलाफ भी एक बार जनता के मन में ऐसी उथल-पुथल तब हुई थी जब उनका नाम एक हवाला डायरी में आया था लेकिन हम सबको याद है कि माधवराव सिंधिया ने बिना कोई सफाई दिए नैतिकता के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल से अपना त्यागपत्र दे दिया था। उस समय देश के प्रधानमंत्री पीव्ही नरसिम्हाराव थे। इस्तीफा देने से सिंधिया का कद बढ़ा था। वे कांग्रेस से निकले जाने के बाद हुए लोकसभा चुनाव में जीते थे और आज की भाजपा ने भी उनका नैतिक रूप से समर्थन करते हुए अपना अधिकृत प्रत्याशी सिंधिया के सामने से हटा लिया था।

आज पच्चीस साल बाद सिंधिया जैसी हैसियत भाजपा में नरेंद्र सिंह तोमर की है। वे महाबली प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल के सबसे निर्मल और गंभीर मंत्री हैं,हालाँकि एक कृषि मंत्री के रूप में वे अब तक के सबसे नाकाम मंत्री भी साबित हुए। भाजपा और संघ की उनके ऊपर सदा कृपा रही है। इसी वजह से तोमर को अब तक एक से बढ़कर एक जिम्मेदारियां भी मिलीं और वे लगभग सभीपर खरे भी उतरे। किन्तु पहली बार उनके दामन पार ऐसा दाग लगा है जिसे आसानी से छुटाया नहीं जा सकता। तोमर के बेटे आखिए इस लेनदेन के पात्र कैसे बने ? ये सवाल सभी के मन में हैं। तोमर विधानसभा चुनावों के चलते ये वीडियो आने के बाद यदि एक पल गंवाए बिना नैतिकता के आधार पर सिंधिया की तरह अपने पद से इस्तीफा दे देते तो उनकी साख बच जाती। लेकिन उन्होंने ऐसा न कर सबसे बड़ी भूल कर दी।

राकेश अचल

भाजपा की एक और दो इंजिन की सरकारों के अनेक मंत्रियों के बेटे-बेटियां इस तरह के लेन-देन में लिप्त है लेकिन अब तक कोई पकड़ में नहीं आया। किसी का वीडियो वायरल नहीं हुआ। भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा के लड़कों के ऊपर पर मौखिक रूप से लेनदेन के आरोप लागते रहे किन्तु उनके वीडियो नहीं बने। प्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्र के पुत्र को भी उनका अभिकर्ता माना जाता है किन्तु वे भी तोमर के पुत्रों की तरह किसी जाल में फंसे नहीं। ये खुशनसीबी है उनकी। वे भी इस तरह से ट्रेप हो सकते थे जिस तरह से की तोमर के पुत्र हुए। ये रोग केंद्र के तमाम मंत्रियों के बेटों को लगा हुआ है। कोई इससे बच भी नहीं सकता ,क्योंकि अविश्वास के युग में कोई मंत्री अपने बेटे के अलावा किसी और पर भरोसा कर भी नहीं सकता।

भाजपा के लिए नरेंद्र सिंह तोमर की जो सेवाएं हैं उन्हें देखते हुए भाजपा हाईकमान उनके सौ खून माफ़ कर सकती है और कर भी रही है। वीडियो वायरल होने के बावजूद माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नरेंद्र तोमर का चुनाव प्रचार करने मुरैना तक गए भी। जाहिर है कि मोदी जी को इन वीडियो को लेकर तोमर के प्रति कोई संदेह नहीं है। होना भी नहीं चाहिए। लेकिन इन वीडियो के आने के बाद बिना जाँच-पड़ताल के मामले पर धूल डालने की कोशिश तोमर के खिलाफ ही जाएगी।

भाजपा को भी इस कोशिश का खमियाजा भुगतना पड़ सकता है। भाजपा तोमर जैसे समर्पित और निष्ठावान कार्यकार्ता और नेता के लिए ये खमियाजा भुगत भी लेगी किन्तु तोमर को निजी रूप से हुई क्षति को भाजपा नहीं बचा सकती। तोमर को जिस तरह से मीडिया के सवालों के सामने मुंह छिपाकर निकलना पड़ रहा है वो सब वेदनादायक है। मैंने पिछले चालीस साल में तोमर को कभी भी ऐसी शर्मनाक परिस्थितियों से जूझते नहीं देखा।

आगामी 17 नबम्वर को विधानसभा के लिए प्रदेश में मतदान है। मुमकिन है की ये दोनों वीडियो वायरल होने के बाद भी नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा का चुनाव जीत जाएँ किन्तु यदि वे ये चुनाव हारते हैं तो ये उनके जीवन का सबसे बड़ा घाटा होगा। मारे यहां कहा जाता है कि -‘पूत,सपूत तो क्यों धन संचय ,पूत-कपूत तो क्यों धन संचय ?’पर राजनीति में काम करने वाले इस कहावत पर ध्यान नहीं देते। वे घर में सपूतों के होते हुए भी उन्हें धन संचय के काम में न लगाकर कपूत बना देने की गलती करते है।

भाजपा में ही नहीं बल्कि हर दल में ये बीमारी है। कांग्रेस में भी थी,तृणमूल कांग्रेस में भी है। सपा में भी है और बसपा में भी। पुत्र मोह कोई नई चीज नहीं है । महाभारतकाल से अब तक पुत्र मोह के लिये हर कोई धृतराष्ट्र बन जाता है। अब इस फेहरिस्त में नरेंद्र सिंह तोमर का भी नाम शामिल हो गया है। मै इसे उनका दुर्भाग्य मानता हूँ। ये भाजपा के लिए भी शुभ नहीं है और हमारे ऐतिहासिक ग्वालियर के लिए भी।

हम सब जानते हैं कि ये वीडियो आने के बाद न कोई ईडी ,सीबीआई ग्वालियर आएगी और न किसी का कुछ बिगड़ेगा। न कोई जेल जाएगा और न कोई राजनीति से बेदखल किया जाएगा। लेकिन इसे नैतिकता और अनैतिकता से जोड़कर हमेशा देखा जाएगा। ये वीडियो उन तमाम राजनेताओं के लिए सबक हैं जो अपने बेटों के जरिये सत्ता की एजेंसी चलाते हैं। गनीमत ये है कि दूसरे नरेंद्र के कोई पुत्र नहीं है अन्यथा ऐसे वीडियो उनके भी बनाये और वायरल किये जा सकते थे,क्योंकि राजनीति में कोई भी किसी भी सीमा तक जाकर प्रहार कर सकता है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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