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दोहरा चरित्र: क्या IAS बन सत्ता के आगे कोई इतना भी गिर सकता है?

रविवार सुबह से ही ट्विटर पर हैशटेग अरेस्ट सीडीओ दिव्यांशु पटेल टाॅप ट्रेंडिंग में है।

उन्नाव (जोशहोश डेस्क) उत्तर प्रदेश में ब्लाॅक चुनाव के दौरान एक पत्रकार की पिटाई करने वाले चीफ डेवलॅपमेंट ऑफिसर (सीडीओ) दिव्यांशु पटेल सुर्खियों में हैं। रविवार सुबह से ही ट्विटर पर हैशटेग अरेस्ट CDO दिव्यांशु पटेल टाॅप ट्रेंडिंग में चल रहा है। वहीं घटना के बाद से उन्नाव में भी पत्रकारों में रोष व्याप्त है और दिव्यांशु पटेल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है।

उन्नाव के मियागंज ब्लॉक पर मतदान के दौरान सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने कवरेज कर रहे पत्रकार कृष्णा तिवारी को बेरहमी से पीट दिया था। बड़ी बात यह है कि इस दौरान एक स्थानीय बीजेपी नेता भी पत्रकार की पिटाई करते नज़र आ रहा था। ये नेता वीडियो में दिव्यांशु पटेल के साथ खड़ा भी दिखाई दे रहा है। इसके बाद प्रशासन पर सत्ता के आगे समर्पण करने का आरोप भी लग रहा है।

दिव्यांशु पटेल 2017 बैच के आईएएस हैं। उनके छात्र जीवन का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें वे स्वयं एक प्रदर्शन में भाग लेते हुए मनुवाद के खिलाफ बोलते भी नजर आ रहे हैं। पत्रकार कृष्णा तिवारी की पिटाई को अब सोशल मीडिया में जातिवादी मानसिकता से भी जोड़ा जा रहा है, साथ ही कहा जा रहा है कि जो दिव्यांशु पटेल छात्र जीवन में पुलिस दमन और उत्पीड़न के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन किया करते थे वही दिव्यांशु अब आईएएस बनकर पत्रकारों को पीट रहे हैं-

https://twitter.com/DeepakSEditor/status/1413925117650890752?s=20
https://twitter.com/suryapsingh_IAS/status/1414093986835308546?s=20

वही दिव्यांशु पटेल ने अपनी सफाई में कहा है कि वे भीड़ के कारण पत्रकार को पहचान नहीं पाए हालाँकि पत्रकार कृष्णा तिवारी के मुताबिक़ सीडीओ दिव्यांशु पटेल उसे पहले से अच्छी तरह जानते हैं। उसके बावजूद भी उन्हें पीटा गया। अब मामले की शिकायत कलेक्टर से भी की गई है। सोशल मीडिया पर दिव्यांशु पटेल का बचाव भी किया जा रहा है-

गौरतलब है कि ब्लॉक प्रमुख चुनाव में वोटिंग के दौरान कई जगह से हिंसा की तस्वीरें सामने आईं हैं। इटावा में वोटिंग के दौरान एसपी सिटी प्रशांत कुमार को थप्पड़ मारने का वाकया सामने आया था। वही लखीमपुर सीरी में सपा प्रत्याशी और उनकी प्रस्तावक से अभद्रता पर भी सरकार की जमकर किरकिरी हुई है। हिंसा के बीच हुए चुनावों में भाजपा की जीत पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं।

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