GIJN रिपोर्ट: राष्ट्रीय सुरक्षा-महामारी की आड़ में जासूसी करा रही सरकारें
अरबों रुपयों का है गोपनीय जासूसी या निगरानी उपकरणों का कारोबार, इसमें दर्जनों तकनीकी फर्मों और सरकारों के बीच गुप्त सौदे शामिल।
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) पेगासस स्पाईवेयर के जरिए भारत में भी कई पत्रकारों के साथ अन्य प्रभावशाली लोगों की जासूसी का खुलासा हो चुका है। इस खुलासे से पहले ही 80 देशों में कार्यरत ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नेटवर्क (GIJN ) ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था दुनिया के करीब 75 प्रतिशत देशों की सरकारें पत्रकारों के साथ अन्य विशिष्ठ लोगों की जासूसी करा रही हैं और इसके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा और कोरोना जैसी महामारी की आड़ ली जा रही है।
जीआईजेएन की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारों द्वारा जासूरी उपकरणों की डील में आतंकवाद या अपराध गतिविधियों का मुकाबला करने जैसी शब्दावली का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इसकी पीछे मंशा अलग होती है। यहां तक कि लोकतांत्रिक सरकारें भी अपराध रोकने, राष्ट्रीय सुरक्षा या कोविड-19 की ट्रैकिंग की आड़ में जासूसी तकनीकों का उपयोग कर रही हैं।
जीआईजेएन नेअपनी रिपोर्ट में बताया था कि गोपनीय जासूसी या निगरानी उपकरणों का कारोबार अरबों रुपयों का है। इस धंधे में दर्जनों तकनीकी फर्मों और सरकारों के बीच गुप्त सौदे शामिल हैं। यह मानवाधिकारों और गोपनीयता के लिए खतरनाक है। इसके कारण पत्रकारों को अपने गोपनीय स्रोतों की रक्षा करना भी मुश्किल हो सकता है। रिपोर्ट में सरकारों और जासूसी उपकरणों को बेचने वाली कंपनियों के बीच की डील को एक्सपोज़ करने के टिप्स भी दिए गए थे।
पढ़िए GIJN की मूल रिपोर्ट- सरकारों द्वारा ‘जासूसी तकनीक’ खरीद प्रकरणों पर रिपोर्टिंग कैसे करें!
जीआईजेएन ने सोशल मीडिया सर्विलांस ‘फ्रीडम हाउस’ की वरिष्ठ शोध विश्लेषक एली फंक की एक रिपोर्ट का हवाला भी दिया गया था, जिसमें उन्होंने यह बताया था कि कैसे सरकारों ने अपने नागरिकों पर निगरानी के लिए कोविड-19 महामारी का फायदा उठाया। फ्रीडम हाउस ने 65 देशों में डिजिटल स्वतंत्रता का आकलन कर यह खुलासा किया था कि 65 में से 40 देशों द्वारा नागरिकों की निगरानी के लिए अत्याधुनिक जासूसी उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है।
जीआईजेएन के मुताबिक निगरानी तकनीक के विस्तार में चीन के प्रभाव का दायरा बढ़ता जा रहा है। इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि युगांडा जैसे अपेक्षाकृत कम आय वाले देश ने चीन से 126 मिलियन डॉलर का ऋण लेकर कैमरा निगरानी प्रणाली खरीदी थी? जबकि वहां अपराध के साथ इसका कोई सीधा संबंध सामने नहीं आया था ? अमेरिकी सरकार के एक आयोग को पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया था कि 13 अफ्रीकी सरकारों ने उन्नत चीनी निगरानी तकनीक हासिल कर ली है।
रिपोर्ट में सरकारों द्वारा गोपनीय जासूसी या निगरानी उपकरणों की खरीद को लेकर फ्रांसीसी पत्रकार टेस्केट ने बड़ी चेतावनी दी है। टेस्केट के मुताबिक स्थिति काफी विस्फोटक हो रही है। अभी जो दिख रहा है, वह सिर्फ हिमशैल का सिरा दिखता है। विशाल हिस्सा तो पानी के नीचे होने के कारण दिख ही नहीं रहा है।