गाय पर राय: क्या हाईकोर्ट के जजों तक पहुंचा व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी का ज्ञान?
न्यायमूर्ति शेखर कुमार गुप्ता द्वारा फैसले में दिए तर्को पर सोशल मीडिया में उठे सवाल।
भोपाल (जोशहोश डेस्क) इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर कुमार गुप्ता का गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने संबंधी फैसला इन दिनों सुर्खियों में है। एक ओर इस फैसले का सोशल मीडिया पर जमकर प्रसार हो रहा है वहीं दूसरी ओर इस फैसले के पक्ष में न्यायमूर्ति शेखर कुमार गुप्ता द्वारा दिए गए तर्क अवैज्ञानिक और भ्रामक बताए जा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर यहां तक कहा जा रहा है कि अब हाईकोर्ट के जज भी सोशल मीडिया पर प्रचारित और प्रसारित भ्रामक तथ्यों को अपने फैसलों का आधार बना रहे हैं। न्यायमूर्ति शेखर कुमार गुप्ता के इस फैसले में दिए तर्को को भी व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के ज्ञान से प्रभावित भी बताया जा रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार दिबांग और अवधेश अकोदिया ने भी फैसले को लेकर दिए गए तर्कों पर सवाल उठाए हैं-
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गायों की हालत और गौ हत्या की बढ़ती घटनाओं को लेकर यह केंद्र सरकार को संसद में बिल पेश कर गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव दिया है। जस्टिस शेखर कुमार यादव की सिंगल बेंच के फैसले के मुताबिक गायों की सुरक्षा को हिंदुओं के मौलिक अधिकार में शामिल किया जाना चाहिए। गायों को किसी एक धर्म के दायरे में नहीं बांधा जा सकता। कोर्ट के फैसले के मुताबिक देश का कल्याण तभी होगा, जब गाय का कल्याण होगा।
जस्टिस शेखर कुमार यादव की सिंगल बेंच ने ये भी कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए सरकार संसद में बिल लाकर सिर्फ कानून ही न बनाए, बल्कि उस पर सख्ती से अमल भी कराए। फैसले में यह भी कहा गया है कि गौ हत्या की घटनाओं से देश कमजोर होता है और इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वालों का कतई देशहित में कोई आस्था या विश्वास नहीं होता।
कोर्ट ने यह फैसला गौवध निवारण अधिनियम के तहत दर्ज हुई एफआईआर में गिरफ्तार आरोपी की जमानत अर्ज़ी को खारिज करते हुए दिया था। जावेद नाम के आरोपी की जमानत अर्जी पर कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने जो किया है, उसका समाज पर गलत असर पड़ा है। जमानत मिलने पर वह फिर से गौ हत्या के काम में शामिल होकर समाज का माहौल बिगाड़कर तनाव के हालात पैदा कर सकता है।