प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनियों के लिए आ रहे हैं यह नए नियम
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा निजी सुरक्षा एजेंसियों (Private Security Agency) के ‘मॉडल नियम 2020’ के नए नियमों को जारी किया गया है। जिसके तहत अब निजी सुरक्षा एजेंसियों (Private Security Agency) को दूसरे राज्यों में काम करने के लिए अलग से पुलिस प्रशिक्षण और वेरिफिकेशन करवाने की आवश्यकता नहीं होगी।
साथ ही नए नियमों के लागू होने के बाद अब निजी सुरक्षा एजेंसियां सशस्त्र बलों, सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) और राज्य पुलिस में उपयोग होने वाले पदनामों के अलावा कोई भी दूसरा पदनाम रख सकती हैं। बता दें की 2006 के पुराने नियमों के अनुसार किसी भी निजी सुरक्षा एजेंसी को सिर्फ दो पदनाम गार्ड (guard) और सुपरवाइजर (supervisor) रखने की अनुमति थी।
देश में कितनी निजी सुरक्षा एजेंसियां हैं
सरकारी आंकड़ों की मानें तो देश भर में करीब 13,000 से अधिक पंजीकृत एजेंसियां निजी सुरक्षा प्रदान करने में लगी हुई हैं। जिनसे आने वाले वक़्त में नौ मिलियन (90 लाख़) से अधिक नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। राज्यों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की कुल संख्या दो मिलियन (20 लाख) होने का अनुमान है। इसलिए लॉकडाउन के दौरान निजी सुरक्षा एजेंसियों को सहायता के लिए आवश्यक सेवाओं में लाया गया था।
नए नियमों में और क्या बदलाव
नए नियमों के अनुसार, एजेंसियों में काम कर रहे कर्मचारी और उनके निदेशकों को अब ‘क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम’ (सीसीटीएनएस) और ‘इंटरऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम’ (आईसीजेएस) का उपयोग करके वेरीफाई किया जा सकेगा। साथ ही किसी अन्य राज्य में काम करने के लिए निजी सुरक्षा एजेंसियों का डिजिटल वेरिफिकेशन भी अब संभव होगा। इस नए नियम के बाद लाइसेंस वेरिफिकेशन की समय सीमा को भी 90 दिन से घटाकर 15 दिन कर दिया गया है। राज्य एजेंसियों द्वारा लाइसेंस देने की प्रक्रिया नए नियमों के अनुसार, 60 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी। 2006 के नियमों के तहत, निजी सुरक्षा एजेंसियों के मालिकों को दूसरे राज्य में लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन जैसे विषयों पर प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता था। पर अब नए नियमों के बाद एक बार लाइसेंस मिलते ही निजी सुरक्षा एजेंसियों को अन्य राज्यों में काम काने के लिए दुबारा प्रशिक्षण की आवस्यकता नहीं पड़ेगी।