असुरक्षित-आक्रोशित कश्मीरी पंडित, अब वोट-नोट कमाने वाले रहनुमा चुप क्यों?
कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या के बाद से घाटी में आक्रोश, सरकार पर खिलवाड़ का आरोप।
श्रीनगर (जोशहोश डेस्क) कश्मीर घाटी और कश्मीरी पंडित एक बार फिर सुर्खियों में हैं। घाटी में बीते दिनों सरकारी कर्मचारी राहुल भट्ट की हत्या के बाद से कश्मीरी पंडित आक्रोशित हैं। लाल चौक पर ‘वी वांट जस्टिस’ का नारा बुलंद करते हुए कश्मीरी पंडित अपनी सुरक्षा के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन अब सरकार से लेकर कश्मीरी पंडितों के तमाम स्वघोषित रहनुमाओं ने चुप्पी धारण कर ली है।
राहुल भट्ट की हत्या के बाद कश्मीरी पंडित अपनी सुरक्षा और नौकरी करने वाले बांड से आज़ादी की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री पुनर्वास योजना के तहत यहाँ सरकारी कर्मचारियों को यह बांड लिखना पड़ता है कि वह कश्मीर घाटी में ही नौकरी कर सकते है जिसका अब व्यापक विरोध किया रहा है। कश्मीरी पंडित कर्मचारी घाटी से देश के किसी भी प्रान्त में ट्रांसफर की अपनी मांग पर अड़े हैं।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने भी लाल चौक पर प्रदर्शन करते कश्मीरी पंडितों का वीडियो शेयर किया है। दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाया कि क्या अब कश्मीर फाइल्स का सीक्वल बनाएंगे ?
कश्मीरी पंडितों का आरोप है कि वे कश्मीर घाटी में सुरक्षित नहीं है और प्रदेश-केंद्र सरकार कश्मीरी पंडितो की जान के साथ खिलवाड़ कर रही है। कश्मीरी पंडितों ने यहाँ तक कहा कि हम पिछली सरकारों पर आरोप लगाते रहे हैं कि उन्होंने कश्मीरी पंडितो के लिए कुछ नहीं किया लेकिन ये सरकार भी वही सब कर रही है।
गौरतलब है कि कश्मीरी पंडित राहुल भट को आतंकवादियों ने 12 मई को बडगाम जिले के चदूरा कस्बे में मार दिया था। राहुल भट्ट को 2010-11 में जम्मू-कश्मीर में प्रवासियों के लिए विशेष रोजगार पैकेज के तहत क्लर्क की नौकरी मिली थी। उनकी पांच साल की एक बेटी भी है। राहुल भटट् हत्याकांड के बाद से कई कर्मचारी असुरक्षा के खौफ से कार्यालय नहीं गए हैं।