2010 में सुधरे थे हालत, 2020 में टारगेट किलिंग के खौफ से पलायन
Kashmiri Pandit Sangharsh Samiti's letter saying situation of kashmir
श्रीनगर (जोशहोश डेस्क) कश्मीर घाटी में हालत लगातार बिगड़ रहे हैं। टारगेट किलिंग के चलते कश्मीरी पंडितों ने सामूहिक पलायन करने का फैसला लिया है। बीते 20 दिनों में ही बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित और हिन्दू घाटी पहले ही छोड़ चुके हैं। कश्मीरी पंडित यह कहते नज़र आ रहे हैं कि आज जो स्थिति बनी है वो सरकार के नियंत्रण से पूरी तरह बाहर है। मौजूदा हालात को लेकर कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति का पत्र भी वायरल है।
जम्मू कश्मीर और लद्दाख के चीफ जस्टिस के नाम लिखे इस पत्र में समिति ने घाटी में टारगेट किलिंग के चलते नागरिकों को संविधान प्रदत ‘जीने के अधिकार’ का जिक्र करते हुए सुरक्षा की मांग की है। साथ ही यह भी लिखा कि 1990 के 20 साल बाद 2010 में हालत सुधरे थे लेकिन अब घाटी में दहशत की स्थिति है। कश्मीरी पंडित टारगेट किलिंग के चलते पलायन को मज़बूर हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 12 मई को राहुल भट की हत्या के बाद से करीब 1800 कश्मीरी पंडित घाटी से जम्मू की ओर पलायन कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि घाटी में करीब 8000 कर्मचारी हैं, जिनमें से करीबी 1800 ऐसे हैं जिनके साथ करीब 3 से 4 पारिवारिक सदस्य भी हैं। करीब 1300 को ट्रांजिट कैंप में आवासीय सुविधा मिली है जबकि बाकी के किराये के घरों में रह रहे हैं।
दूसरी ओर घाटी में बीते तीन सप्ताह से कश्मीरी पंडितों का आंदोलन चल रहा है। प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत नौकरी पाने वाले पंडित काम का बहिष्कार कर प्रदर्शन कर रहे हैं। ये घाटी में सबसे लंबे समय तक चलने वाला प्रदर्शन बन चुका है। काम करने वाले कश्मीरी पंडितों की मांग है कि हमें कश्मीर के बाहर पोस्टिंग दी जाए।
गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से 05 अगस्त 2019 को धारा 370 को हटा दिया था। साथ ही पूरे राज्य को तीन टुकड़ों में बाँट दिया था। उम्मीद थी कि घाटी में शीघ्र ही स्थितियां सामान्य होंगी और वहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल होगी, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं और हालत अब इस तरह भयावह हो गए हैं कि टारगेट किलिंग के चलते कश्मीरी पंडितों सामूहिक पलायन पर मज़बूर हैं।