शिवराज पूछेंगे कमलनाथ से सवाल, क्या MP में अब बहेगी उल्टी सियासी गंगा?
मध्यप्रदेश में अब सत्ता सवालों का जवाब देने के बजाए विपक्ष से ही पूछेगी सवाल
भोपाल (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश में सियासत की उल्टी गंगा बहेगी। जी हां अब तक सत्ता पक्ष को विपक्ष के सवालों का जवाब देना होता था लेकिन अजब गजब मध्यप्रदेश में अब सत्ता सवालों का जवाब देने के बजाए विपक्ष से ही सवाल पूछेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद इसकी शुरुआत करते दिख रहे हैं।
दरअसल शुक्रवार को सीएम शिवराज ने कहा है कि कांग्रेस ने एक बार फिर झूठे वादे करना प्रारंभ कर दिया है। कांग्रेस के वचनपत्र का उदाहरण देते हुए सीएम शिवराज ने कहा कि बहुत हो गया अब मैं कमलनाथ जी से सवाल पूछना शुरू करूंगा।
सीएम शिवराज के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में यह कहा जाने लगा कि यह पहली बार होगा जब प्रदेश में लगभग 18 साल से काबिज कोई मुख्यमंत्री सरकार पर उठे सवालों से इतर 15 महीने की सरकार के कार्यकाल को लेकर सवाल पूछेगा।
साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि कमलनाथ सरकार को केवल 15 महीने का ही कार्यकाल मिला। अगर कमलनाथ पूरे पांच साल सरकार चलाते तो भी शिवराज उनसे पांच साल का लेखा जोखा पूछने का नैतिक अधिकार रखते लेकिन जो सरकार ही 15 महीने ही चली हो उस पर भी करीब दो महीने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता रही हो ऐसे में इतने लम्बे समय मुख्यमंत्री रहे शिवराज द्वारा कमलनाथ सरकार से सवाल पूछने की बात बेमानी सी ही है।
शिवराज ने कमलनाथ से सवाल पूछने के लिए फसलों के बोनस जैसे मुद्दे को आधार बनाया जबकि किसानों के लिए कांग्रेस के सबसे बड़े कर्जमाफी जैसे बड़े फैसले को शिवराज सरकार विधानसभा में स्वीकार कर चुकी है। यहां तक कि पाला बदलने से चंद दिन पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया तक कर्जमाफी के प्रमाण पत्र वितरित करते सार्वजनिक रूप से नजर आए थे।
यही कारण है कि सीएम शिवराज ने जैसे ही कमलनाथ ने सवाल पूछने की बात की, कांग्रेस ने हमलावर होकर इसका जवाब दिया। स्वयं कमलनाथ ने कहा कि ऐसे सवाल कोई अस्थिर मति का व्यक्ति ही कर सकता है। कमलनाथ ने तो यह तक कह दिया है कि उन्होंने चुनाव बाद सरकार से सवाल करने की प्रैक्टिस प्रारंभ कर दी है।
एक और घटनाक्रम गौर करने लायक है। एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश देने की बात भी कहते नजर आए थे। इसे लेकर भी सियासी महकमों में बड़ी चर्चा है क्योंकि मुख्यमंत्री रहते कमलनाथ ने इसके लिए आदेश तक जारी कराया था लेकिन यह आदेश सरकार बदलते ही ठंडे बस्ते में चला गया था।
अब फिर कमलनाथ ने कांग्रेस की सरकार बनने पर इसे अमल में लाने की बात कही है जिसके बाद CM शिवराज को भी यह बात सार्वजनिक रूप से रखनी पड़ी। ऐसे में यह तक कहा जाने लगा था कि कमलनाथ जनता से जुड़े मुद्दों को इतनी प्रमुखता से रख रहे हैं कि सरकार इन्हें अनदेखा कर ही नहीं पा रही है।
यह भी कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के लिए कमलनाथ स्थानीय मुद्दों को सधे सवालों से उठा रहे हैं जिसमें भाजपा की सत्ता और संगठन फंसते नजर आ रह हैं। यह भी सियासत की उल्टी गंगा ही कही जा रही है कि अब तक कांग्रेस हर चुनाव में भाजपा की पिच पर दिखाई देती थी लेकिन इस बार कांग्रेस पूरे चुनाव को अपनी पिच पर खेलती और उसी पिच पर भाजपा को लाती भी दिख रही है।