कृषि कानून निरस्त करने के अलावा विकल्प बताएं किसान यूनियन : तोमर
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) 19 जनवरी को होने वाली अगले दौर की वार्ता से पहले कृषि मंत्री ने रविवार को कहा कि कानूनों को निरस्त करने के अलावा अगर यूनियन कोई विकल्प बताएं तो उस पर सरकार विचार करेगी। उधर, देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन 55वें दिन में प्रवेश कर गया है और किसान यूनियनों का कहना है कि आंदोलन तेज करने को लेकर उनके पूर्व घोषित सारे कार्यक्रम आगे जारी रहेंगे।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि अगले दौर की वार्ता में किसान यूनियन तीनों कृषि कानूनों पर बिंदुवार चर्चा कर अपनी आपत्ति बताएं तो सरकार उस पर विचार करेगी। उन्होंने कहा, कानून को निरस्त करने के अलावा किसान जो भी विकल्प सुझाएंगे सरकार उस पर गंभीरता से विचार करेगी।
कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार लाने के मकसद से केंद्र सरकार ने कोरोना काल में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 लाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और मसले के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन किया है।
आंदोलनरत किसान तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं, जबकि बिजली अनुदान और पराली दहन से संबंधित दो अन्य मांगों को सरकार पहले ही स्वीकार कर चुकी है।
नये कृषि कानूनों पर किसानों की आपत्तियों का समाधान करने को लेकर पहली बार पिछले साल 14 अक्टूबर को कृषि सचिव ने किसान नेताओं से बातचीत की। इसके बाद शुरू हुआ मंत्रि-स्तरीय वार्ता का दौर और अब तक नौ दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं। मंत्रि-स्तरीय वार्ताओं में तोमर के अलावा रेलमंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश भी मौजूद रहे हैं। अब 19 जनवरी को फिर किसान यूनियनों के नेता केंद्रीय मंत्रियों के साथ वार्ता करेंगे। इस वार्ता से पहले कृषि मंत्री ने किसान यूनियनों को स्पष्ट कर दिया है कि कानून को निरस्त करने के अलावा अगर कोई विकल्प किसानों की तरफ से आएगा तो उस पर सरकार विचार करेगी।
(इस खबर के इनपुट आईएएनएस से लिए गए हैं।)