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हीरो मध्यप्रदेश की : हज़ारों महिलाओं को रोज़गार देने वाली पूजा आयंगर की कहानी

महाशक्ति सेवा केंद्र जिसकी नींव साल 1992 में पूजा की माँ इंदिरा आयंगर ने गैस पीड़ित महिलाओं को आर्थिक रूप से सहायता देने के उद्देश्य से रखी थी।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) भोपाल गैस कांड जिसने लाखों परिवारों की जिंदगी को उजाड़ कर रख दिया। हज़ारों परिवारों को सड़क पर ला खड़ा किया। जो जान बचाने में सफल रहे वह भी गैस के भयावह प्रभाव से बच न सके।आँखों की रौशनी जाने से किसी की जिंदगी में अंधकार छा गया तो कोई जिंदगी भर के लिए अपंगता का शिकार हो गया। गैस पीड़ितों को राहत देने के नाम पर पिछले 36 सालों में सभी सरकारों ने बहुत से वादे किए। लेकिन कोई भी सरकार अपने वादों पर खरी नहीं उतरी। ऐसे वक़्त में गैस पीड़ितों के जीवन में रौशनी भरने का काम किया महाशक्ति सेवा केंद्र की पूजा आयंगर ने। जिसने गैस पीड़ितों के लिए दिन रात काम कर, उनकी ज़िन्दगी को नयी उम्मीद दी।

मध्यप्रदेश के भोपाल से ताल्लुख़ रखने वाली पूजा आयंगर, जिन्होने ‘फिल्म मेकिंग एंड एडिटिंग’ में सफल करियर छोड़ अपना जीवन  गैस पीड़ितों, महिलाओं और बेजुबान जानवरों के उद्धार के लिए समर्पित कर दिया और इसी कारण पूजा बन गईं जोश-होश की हीरो (Heroes of Madhya Pradesh)।

महाशक्ति सेवा केंद्र जिसकी नींव साल 1992 में पूजा की माँ इंदिरा आयंगर ने गैस पीड़ित महिलाओं को आर्थिक रूप से सहायता देने के उद्देश्य से रखी थी। इंदिरा आयंगर ने मदर टेरेसा के साथ मिलकर, 36 साल पहले हुए गैस कांड की वजह से अपना सब कुछ खो चुकीं हज़ारों महिलाओं को न केवल सहार दिया, बल्कि इन महिलाओं को सिलाई-बुनाई का काम सिखाकर आर्थिक रूप से सक्षम भी बनाया। अब इंदिरा की इस विरासत को आगे बढ़ा रही हैं उनकी बेटी पूजा आयंगर। जहां लगातार पूजा महिलाओं के कौशल विकास और नियमित रोज़गार को बढ़ाने पर ध्यान दे रही हैं। इससे पहले पूजा ने जामिया मिलिया इस्लामिया से ‘मास कम्युनिकेशन’ की पढाई करने के बाद सफल करियर की शुरुआत की। जिसके बाद 2008 में उनका विवाह लैफ्टीनैंट कर्नल वी रघुराम से हुआ।

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महाशक्ति सेवा केंद्र दो स्तंभ ‘विश्वास’ और ‘शक्ति’ पर खड़ा है। पूजा बताती हैं कि महाशक्ति सेवा केंद्र का नाम मदर टेरेसा द्वारा रखा गया था। जिसका मतलब है महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना। भोपाल स्टेशन के पास द्वारका नगर में गैस राहत शेड में महाशक्ति सेवा केंद्र को चलाया जाता है। जहाँ छोटी बस्ती के केंद्र होने और पुरुषों के डर से पहले महिलाएं घर से निकलने में झिझकती थीं। ऐसी स्तिथि में पूजा ने घर घर जा कर न केवल उनके पतियों को समझाया बल्कि साथ में  काम सीखने के लिए प्रेरित भी किया। पूजा बताती हैं कि उनके केंद्र में हर तबके की महिलाएं आती हैं। पहले यह महिलाएं काम सीखने के बाद परेशान होती थीं। महिलाओं का मानना था कि काम सीखने के बाद उन्हे केंद्र छोड़कर घर पर ही बैठना पड़ता था। लेकिन अब पूजा द्वारा रोज़गार मिलने से वे काम नियमित रूप से करती हैं और ऐसे प्रोडक्ट्स बनाती हैं जो मार्किट स्टैंडर्ड्स से मिलता हो। कोरोनाकाल  में भी पूजा और महासक्ति सेवा केंद्र रुके नहीं। पूजा ने लॉकडाउन में महिलाओं को मास्क बनाने की ट्रेनिंग देकर रोज़गार के अवसर बनाए।

पूजा सामजसेवा के साथ पशुसेवा में भी अपना भरपूर समय देती हैं। स्वच्छ भारत अभियान के तहत पूजा ने  50 हज़ार पुराने कपड़े  से बने  बैग बनाकर नगर निगम को दिए। जिसके बाद बचे हुए कपड़े की कतरनों से शहर के आवारा कुत्तों के लिए बेड बनवाए। साथ ही पूजा ने गाये-बकरियों की बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए रेडियम बेल्ट्स बनवाये।  यही रेडियम बेल्ट्स जानवरो के गले में डाले जाते हैं जिससे रात के वक़्त इन जानवरों की टक्कर सड़क पर चल रहीं गाड़ियों से न हो। इन्हीं नेक कामों के बाद महाशक्ति सेवा केंद्र को भोपाल नगर निगम द्वारा सम्मानित किया गया और 2019 में पूजा आयंगर को भोपाल  स्वच्छ भारत अभियान का ब्रांड एम्बेसडर से भी पुरस्कृत किया गया है। पूजा आयंगर अपने आप में महिला सशक्तिकरण की जीती जगती उदहारण हैं। जिनके नेक कामों की वजह से ही आज हज़ारों महिलाएं अपने परिवारों को चला रही हैं।

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