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पूंजीवादियों के हवाले हो रहे जल-जंगल-जमीन, एकजुट संघर्ष की जरुरत

प्राकृतिक संपदा के लिए जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय के बैनर तले एकजुट हुए पर्यावरणविद

बांद्राभान (जोश होश डेस्क) जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) के बैनर तले बसेरा सभागार बांद्राभान में ‘नदियों को अविरल बहने दो, जल, जंगल, जमीन, विस्थापन, विकास, रोजगार और नफरत छोड़ो संविधान बचाओ अभियान तथा देश में व्याप्त नफरत, उन्माद, बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार, निजीकरण, पूंजीवाद, फासीवाद के खिलाफ एवं अन्य ज्वलंत सवालों पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत सामूहिक रूप से मशाल जलाकर तथा जन प्रेरणा गीत से की गई। तत्पश्चात गीता मीणा जी द्वारा आगत अतिथि को अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। प्रथम एवं द्वितीय सत्र का संचालन मीरा बहन ने किया। स्वागत संबोधन प्रोफेसर काशमीरसिंह उत्पल ने दिया, उन्होंने कहा कि पूंजीवाद एवं फासीवाद के तहत सृष्टि, मानव, जीव-जंतु के अस्तित्व एवं प्राकृतिक संपदा को हस्तांतरण की जा रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय की राष्ट्रीय संयोजक व नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने प्रस्तावना प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन और प्राकृतिक संसाधनों को बचाने की जरूरत है। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 48 ए के तहत एक सशक्त संघर्ष की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जल ही कल है। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने से सम्पूर्ण सृष्टि के अस्तित्व पर खतरा है। मैदानी एवं कानूनी लड़ाई लड़ने की जरूरत है।

देशभर से आये सैकड़ों प्रतिनिधियों ने संक्षेप में अपने-अपने संघर्षों का परिचय दिया। सम्मेलन में कोसी जन आयोग द्वारा कोसी के नव निर्माण हेतु तैयार प्रस्ताव पुस्तिका का विमोचन किया गया, जिसे तालियों की गड़गड़ाहट से अनुमोदित किया गया।

नदी, भूजल, समुदायों के अधिकार संरक्षण, प्रदूषण, क्रूज़ संचालन, रेत खनन, निजीकरण रोकने, नर्मदा, ब्रह्मपुत्र, कोसी गंगा, गोदावरी, पेरियार, महानदी आदि नदी घाटियों के संरक्षण विषय पर केंद्रित तृतीय सत्र का संचालन राहुल यादुका द्वारा किया गया। इस सत्र में राजकुमार सिन्हा, कोसी नवनिर्माण मंच के संस्थापक महेंद्र यादव, प्रदीप चटर्जी, कमला यादव, विद्युत सैकिया, रेहमत एवं शरथ चेल्लूर ने अपने विचार रखें।

तत्पश्चात चौथे सत्र में भू-रक्षा, भूस्खलन, भूकंप, भ-हस्तांतरण, भूमि अधिग्रहण, विस्थापन, पुनर्वास, खनन आदि की कानूनी व मैदानी हकीकत एवं पर केंद्रित था जिसमें कैलाश मीना, प्रह्लाद बैरागी, मुदिता विद्रोही, फागराम, मुकेश, मीराबाई, संतोष महोबिया, किरण देव यादव ने महत्वपूर्ण विचार सुझाव व्यक्त किए। इस सत्र का संचालन भार्गव द्वारा किया गया।

पांचवी सत्र में जंगल, इतिहास, अधिकार, कानूनी हक, अमल, संघर्ष निर्माण, आदि विषय पर सुरेखा दलवी द्वारा मंच संचालन में रामप्रसाद, पुष्पराज , राजेंद्र गढेवाल, तितराम मरावी ने महत्वपूर्ण सुझाव विचार व्यक्त किए। तत्पश्चात समूह चर्चा कर उपरोक्त विषयक सृष्टि , मानव अस्तित्व, सभ्यता संस्कृति, नदी जल जंगल जमीन, अधिकार, विकास के सवाल को लेकर पूरे देश में आंदोलन चलाने का शंखनाद किया गया।

सम्मेलन में मध्य प्रदेश राजस्थान महाराष्ट्र गुजरात बिहार उत्तर प्रदेश असम केरल उड़ीसा छत्तीसगढ़ झारखंड तेलंगाना दिल्ली मध्य प्रदेश आदि राज्यों से सैकड़ों समाजसेवी प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सबों ने अपनी राज्य जिले की समस्या को रेखांकित करते हुए समाधान हेतु संघर्ष का ऐलान किया।
सम्मेलन में बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ के राज कुमार सिन्हा, फिश वर्कर्स के फोरम के प्रदीप चटर्जी जी, नर्मदा बचाओ आंदोलन के कमला यादव, कृषक मुक्ति संघर्ष समिति असम के विद्युत सैकिया, एनपीएम केरल के शरथ, कोसी नवनिर्माण मंच के महेंद्र यादव, फरकिया मिशन देश बचाओ अभियान के किरण देव यादव आदि ने महत्वपूर्ण विचार रखें।

मुख्य वक्ता मेधा पाटकर ने कहा कि पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना 2020 को रोकने में देश के युवाओं की बड़ी भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि बड़े बांध से विकास नहीं बल्कि विनाश है।अमेरिका और यूरोपीय देशों ने नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बहाल करने के लिए 1800 बड़े बांध को तोड़ दिया है। शंभू नाथ गुप्ता ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण हेतु गांधीवादी मूल्यों का अनुसरण करना होगा।

एनएपीएम के नेत्री मेधा पाटकर ने कहा कि देश में व्याप्त नफरत उन्माद पूंजीवाद फांसीवाद एवं बदले की भावना से देश नहीं चलेगा, बल्कि आपसी प्रेम भाईचारा शांति सद्भाव समाजिक सौहार्द इंद्रधनुषी तहजीब कायम रखकर ही देश विश्व गुरु बनेगा।इसके अलावा जिंदगी बचाओ आंदोलन, बसनिया बांध (ओढारी) विरोधी संघर्ष समिति, जमीन बचाओ आंदोलन, किसान संघर्ष समिति आदि भी शामिल थे।

कार्यक्रम में सर्वप्रथम महात्मा गांधी, डॉक्टर आंबेडकर, बिरसा मुंडा, टंट्या भील, सावित्रीबाई फुले, फातिमा शेख के चित्रों पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम में क्रांतिकारियों के सपनों अरमानों को मंजिल तक पहुंचाएंगे, नदियों को अविरल बहने दो – निर्मल रहने दो, जल ही कल है जीवन है, युवा शक्ति आई है नई रोशनी लाई है, हम हमारा हक मांगते – नहीं किसी से भीख मांगते, लड़ेंगे जीतेंगे आदि गगनभेदी नारे लगाए।

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