किसानों की मांग पर सरकार गंभीर नहीं है-संयुक्त किसान मोर्चा
नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनकारी किसानों की तरफ से 18 फरवरी को देशभर में रेल रोको का ऐलान किया गया है।
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) तीन कृषि कानूनों के विरोध में लामबंद हुए किसानों की अगुवाई करने वाले संगठनों का संघ संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को कहा कि सरकार किसानों की मांग को लेकर गंभीर नहीं है। मोर्चा की ओर से जारी एक बयान में किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने कहा कि किसानों की मांग कर्जा मुक्ति और (फसलों का) पूरा दाम की रही है, जिस पर सरकार गंभीर नहीं है।
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आंदोलन कर रहे किसान केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल सितंबर में लाए गए कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और किसान सेवा पर करार अधिनियम 2020 एवं आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की मांग कर रहे हैं।
इस बीच किसान महापंचायतों का दौर लगातार जारी है। मोर्चा ने बताया कि गुरुवार को पंजाब के जगरांव में विशाल सभा का आयोजन किया गया, जिसमें किसानों के साथ साथ अन्य नागरिकों ने भी बढ़-चढ़कर भागीदारी दिखाई। मोर्चा की तरफ आगे 12 फरवरी से लेकर 23 फरवरी के दौरान की जाने वाली महापंचायतों के कार्यक्रमों की घोषणा भी की गई है।
गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनकारी किसानों की तरफ से 18 फरवरी को देशभर में रेल रोको का ऐलान किया गया है। प्रदर्शनकारी किसानों की मांग है कि सरकार इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेन के साथ ही एमएसपी को कानून का हिस्सा बनाए. जबकि सरकार का तर्क है कि इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी।
किसानों को डर है कि तीन नए कृषि कानूनों के जरिए सरकार मंडी व्यवस्था को खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों को भरोसे छोड़ देगी। इन कानूनों को संसद में विपक्ष के विरोध प्रदर्शन के बीच पास कराया गया था। इसके बाद से ही लगातार पंजाब और हरियाणा के किसान विरोध कर रहे हैं।