जब बोले नेहरू- स्टेडियम न मेरे नाम बनाओ न सरदार पटेल के, नेशनल स्टेडियम रखो नाम
स्टेडियम के नाम पर विवाद के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से जुड़ा किस्सा बरबस ही सोशल मीडिया में शेयर होने लगा है।
भोपाल (जोशहोश डेस्क) अहमदाबाद में मोटेरा स्टेडियम को नरेंद्र मोदी स्टेडियम नाम दिए जाने पर विवाद शुरू हो गया है। पहले यह मैदान सरदार पटेल स्टेडियम कहलाता था। स्टेडियम के नाम पर विवाद के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से जुड़ा किस्सा बरबस ही सोशल मीडिया में शेयर होने लगा है।
किताब ‘नेहरू मिथक और सत्य’ के लेखक पीयूष बबेले (piyush babele) ने अपनी पुस्तक का एक अंश ट्वीट किया है। इसमें नेहरू की खेलों को बढ़ावा देने की चिंता के साथ ही स्टेडियम के नामों को लेकर उनकी साफगोई का जिक्र है।
1951 में देश में पहली बार एशियाई खेलों के आयोजन होना था। नेहरू खेलों के बहाने दुनिया में एक राजनीतिक ध्रुव की नींव रखना चाहते थे। 11 फरवरी 1949 को नेहरू ने क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के मानद सचिव एएस डिमेलो के पत्र के जवाब में एक नोट लिखा-
मैंने मिस्टर डिमेलो द्वारा बनाया वह नोट पढ़ा। जिसमें उन्होंने नई दिल्ली में ‘नेहरू स्टेडियम इन पार्क’ और बंबई में ‘वल्लभ भाई पटेल ओलंपिक स्टेडियम’ बनाने का सुझाव दिया है। मैं भारत में खेल कूद और एथलेटिक्स को पूरा प्रोत्साहन देने के पक्ष में हूं। यह बहुत अफसोस की बात है कि देश में कोई ढंग का स्टेडियम नहीं है। पटियाला या एक दो जगहों को छोड़ दिया जाए तो देश में कहीं भी कायदे का रनिंग ट्रैक तक नहीं है। इसलिए मुझे लगता है कि सरकार को हर तरह के स्टेडियम के निर्माण के काम को बढ़ावा देना चाहिए।
मैं कभी भी किसी स्टेडियम का नाम अपने या किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर रखे जाने के सख्त खिलाफ हूं। यह एक बुरी आदत है इसे बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। स्टेडियम का नाम नेशनल स्टेडियम या इसी तरह का कोई दूसरा नाम भी हो सकता है।
गौरतलब है कि बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अहमदाबाद के मोटेरा के अत्याधुनिक स्वरूप का लोकार्पण किया है। इस मौके पर गृहमंत्री और अहमदाबाद के सांसद अमित शाह ने ऐलान किया कि इस स्टेडियम का नाम नरेंद्र मोदी स्टेडियम होगा। जिसके बाद इसका विरोध होना शुरू हो गया था।