बड़ा फैसला: पेगासुस जासूसी के लिए ममता बैनर्जी ने गठित किया जांच आयोग
देश में पेगासुस मामले की यह पहली जांच है जो किसी राज्य सरकार द्वारा कराई जाएगी।
कोलकाता (जोशहोश डेस्क) पश्चिम बंगाल में पेगासुस जासूसी मामले की न्यायिक जांच की जाएगी। मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया। जांच के लिए दो सदस्यीय आयोग बनाया गया है। इसके दोनों सदस्य रिटायर्ड जज हैं।
मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने सोमवार को पेगासुस जांच के लिए आयोग गठित कर दिया। देश में पेगासुस मामले की यह पहली जांच है जो किसी राज्य सरकार द्वारा कराई जाएगी। जांच का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मदन लोकुर को सौंपा गया है।
एक अन्य सेवानिवृत जज ज्योर्तिमय भट्टाचार्य भी आयोग का हिस्सा होंगे। जस्टिस भट्टाचार्य कलकत्ता हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि पेगासस जासूसी कांड की जांच के लिए केंद्र को आयोग बनाए चाहिए था, लेकिन केंद्र सरकार इस दिशा में कुछ नहीं कर रही है। इसलिए हमें ही इस संदर्भ में कदम उठाने के लिये बाध्य होना पड़ा है।
इजराइली कंपनी एनएसओ द्वारा बनाए गए पेगासुस स्पायवेयर से जासूसी के मामले के खुलासे के बाद से ही सरकार विपक्ष के निशाने पर है। विपक्ष पूरे मामले की जांच के लिए जेपीसी के गठन की मांग कर रहा है। वहीं सरकार ने जासूसी के आरोपों को भ्रामक बता रही है। दूसरी ओर फ्रांस और इजराइल में इस मामले की जांच प्रारंभ हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज भी कर चुके जांच की मांग
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बीएन श्रीकृष्ण भी इस मामले में जांच की मांग कर चुके हैं। जज बीएन श्रीकृष्ण ने ही 2018 में डेटा प्रोटेक्शन बिल का पहला ड्राफ्ट लिखा था। उनका कहना है कि सरकार को मंत्रियों, राजनेताओं, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के कथित फोन हैकिंग मामले की जांच करनी चाहिए। सरकार को स्पष्ट रूप से यह भी बताना चाहिए कि क्या सरकार की कोई एजेंसी इजरायली सैन्य-ग्रेड स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग करती है।