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‘अहंकारी राजा’ सड़कों पर कुचल रहा जनता की आवाज, नया देश मुबारक हो

संसद के नए भवन के सामने रेसलर्स से अभद्रता, सड़कों पर घसीट हिरासत में लिया

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) नए संसद भवन का लोकार्पण के दिन लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई। संसद के नए भवन के सामने पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने जमकर अभद्रता की। बजरंग पूनिया, विनेश-संगीता फोगाट, साक्षी मलिक को सड़कों पर घसीटते हुए हिरासत में ले लिया गया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रेसलर्स के दुर्व्यवहार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला किया है।

जंतर-मंतर पर धरना दे रहे पहलवान रविवार को नई संसद के सामने महिला महापंचायत में शामिल होने जा रहे थे। रोके जाने पर पहलवानों का पुलिस के साथ टकराव हो गया। इसके बाद पुलिस ने बलपूर्वक रेसलर्स को हिरासत में ले लिया और टेंट, कुर्सियां और दूसरा सामान हटाकर धरना स्थल जंतर-मंतर को पूरी तरह खाली करा लिया।

देश के लिए मैडल जीतने वाले रेसलर्स के साथ पुलिस के व्यवहार की तीखी आलोचना हो रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी रेसलर्स के दुर्व्यवहार को लेकर PM मोदी को बिना नाम लिए अहंकारी राजा करार दिया-

इससे पहले राहुल गांधी ने कहा था कि संसद लोगों की आवाज़ है!, प्रधानमंत्री संसद भवन के उद्घाटन को राज्याभिषेक समझ रहे हैं। राहुल गांधी ने महिला पहलवानों की गिरफ्तारी को गलत बताते हुए कहा कि बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ नया नारा है… लेकिन बेटी किससे बचाओ, बीजेपी से बचाओ.”

विनेश और संगीता फोगाट को हिरासत में लिए जाने के दौरान महिला पुलिसकर्मियों की पहलवानों के साथ खासी धक्कामुक्की हुई। जब पुलिस विनेश और संगीता फोगाट को बस में बैठाकर ले जा रही थी, तब विनेश ने कहा कि ‘नया देश मुबारक हो।’

गौरतलब है कि देश के नए संसद भवन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकार्पित किया। रविवार को अधीनम मठ के पुजारियों ने संसद के नए भवन में पीएम मोदी को सेंगोल सौंपा। वहीं कांग्रेस समेत 21 विपक्षी दलों के लोकार्पण समारोह का बहिष्कार किया। विपक्षी दल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नए संसद भवन का उद्घाटन कराने की मांग कर रहे थे। इसे लेकर कांग्रेस समेत 21 विपक्षी दलों के समारोह का बहिष्कार भी किया। विपक्ष का कहना है कि जिस तरह से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए जिस तरह से नई संसद बिल्डिंग का उद्घाटन प्रधानमंत्री से कराने का निर्णय लिया गया, वह शीर्ष पद का न केवल अपमान है, बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला है।

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