ग्वालियर हादसा: एक बस में 350 मजबूर! पलायन की त्रासदी या सरकारों की मक्कारी ?
मंगलवार को दिल्ली से छतरपुर जा रही बस ग्वालियर के करीब पलट गई। हादसे में तीन लोगों की मौत की खबर है।
ग्वालियर (जोशहोश डेस्क) दिल्ली में छह दिन के लाॅकडाउन के ऐलान के बाद पलायन की भयावह तस्वीरें फिर सामने आ रही हैं। मंगलवार को दिल्ली से छतरपुर जा रही बस ग्वालियर के करीब पलट गई। हादसे में तीन लोगों की मौत की खबर है। बस में 350 लोगों को भरे जाने की बात सामने आ रही है। एक साल बाद भी पलायन की वही तस्वीरें और सड़कों पर उसी तरह के हादसों ने केंद्र के साथ राज्य सरकारों की मक्कारी की कलई भी खोल दी है।
हादसा छपरा के निकट जौरासी घाट पर हुआ। एक निजी बस यहाँ अनियंत्रित होकर पलट गई। हादसे में तीन लोगों की मौत के अलावा करीब 15 लोगों के घायल होने की खबर है। बस में सवार लोगों के मुताबिक बस के ड्राइवर और कंडेक्टर ने धौलपुर में शराब भी पी थी। जौरासी घाट पर चालक ने बस पर नियंत्रण खो दिया और बस डिवाइडर पर चढ़कर पलट गई।
हादसा से साल भर पुराने सवाल फिर खड़े हो गए। केंद्र सरकार ने साल भर में कोरोना और पलायन की भयावहता से कोई सबक नहीं लिया। न तो साल भर में अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था हो सकी और न ही लाॅकडाउन जैसी स्थिति में प्रवासी मजदूरों को शहरों में रोकने की कोई व्यवस्था हो सकी। यही कारण रहा कि लाॅकडाउन के ऐलान होते ही दिल्ली के रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर प्रवासियों की भीड़ उमड़ पड़ी।
दिल्ली सरकार भी नाकामी भी प्रवासियों के पलायन का कारण बनी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यह तो कहते रहे कि प्रवासी दिल्ली में ही रहें और शहर न छोड़ें लेकिन उन्हें मदद का भरोसा नहीं दिला पाए। यहां तक कि बस अड्डों पर न तो अतिरिक्त बसों की व्यवस्था की गई और न ही प्रशासन सक्रिय दिखा। दिल्ली के आनंद विहार बस टर्मिनल की तस्वीरों से स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
बस ग्वालियर में चेकपोस्ट से भी गुजरी होगी। कोरोना के हालातों में सड़कों पर सख्त चेकिंग के दावे भी किए जा रहे हैं। इतनी ओवरलोड बस को कहीं रोका नहीं गया, कोई कार्रवाई नहीं हुई। सवाल यह है कि मध्यप्रदेश सरकार का परिवहन अमला कहां था? वह भी तब जब सीधी बस हादसे के बाद ओवरलोडिंग को लेकर कई दिशा निर्देश जारी किए गए थे। परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत ने स्वयं सड़कों पर अकस्मात चेकिंग के नाम पर फोटोशूट कराए थे।
कुल मिलाकर कोरोना ने देश के सिस्टम की कलई खोल दी है। एक साल बाद भी देश के भयावह हालात यह बता रहे हैं कि केंद्र के साथ ही राज्य की सरकारें भी कोरोना को लेकर नकारा साबित हुई हैं।