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पांच साल में आधे से भी कम हुईं UPSC, SSC, बैंक और रेलवे में भर्तियां

बीते पांच सालो में यूपीएससी, एसएससी, रेलवे और बैंक के पदों में 50 प्रतिशत से ज्यादा तक की कमी आई है।

नई दिल्ली  (जोशहोश डेस्क) बीते पांच सालो में यूपीएससी, एसएससी, रेलवे और बैंक के पदों में 50 प्रतिशत से ज्यादा तक की कमी आई है। हाल ही में केंद्र सरकार ने लोकसभा में जो जानकारी दी है उसके मुताबिक अकेले यूपीएससी से भरे जाने वाले पदों में ही बीते चार सालों में करीब 30 प्रतिशत तक की कमी आई है।

प्रिंट वेबसाइट के एक आर्टिकल के मुताबिकि बीते सप्ताह संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सर्विस एग्जाम के लिए 712 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया है। जबकि बीते साल ही यह संख्या 796 थी। यानी इस साल करीब दस प्रतिशत पद कम हो गए। वहीं साल 2014 मे यूपीएससी ने सिविल सेवा के लिए 1364 पदों के लिए आवेदन बुलाए थे। यानी 2020 तक पदों की संख्या में 47 प्रतिशत से जयादा की कटौती हो गई। जबकि पूरे देश में प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की कमी बनी हुई है।

सिविल सर्विस के अलावा भी यूपीएससी द्वारा की जाने वाली अन्य भर्तियों की बात की जाए तो इनकी संख्या में भी बड़ी कमी आई है। सरकार ने लोकसभा में जो जानकारी दी है उसके मुताबिक साल 2016-17 में यूपीएससी द्वारा भरे गए कुल पदों की संख्या 6103 थी जो 2019-20 में घटकर 4399 रह गई है।

वहीं स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (एसएससी) द्वारा केंद्र सरकार के लिए भरे गए पदों की संख्या जहां 2016-17 में 68880 थी वहीं 2020-21 में यह संख्या केवल 2106 ही रह गई। यानी एसएससी द्वारा भर्ती किए गए पदों की संख्या में 96 प्रतिशत की बड़ी कमी आई है। साल 2019 -20 में यह संख्या 14691 थी।

एसएससी द्वारा भारत सरकार के लिए ग्रुप-बी और ग्रुप-सी पोस्ट के लिए भर्ती की जाती है। इसकी स्थापना 1975 में की गई थी। बताया जा रहा है कि साल 2011 के बाद एसएससी ने सरकार के कई विभागों के लिए भर्ती करना बंद कर दिया है जिससे यह बड़ा डाउनफाल देखने में आ रहा है।

दूसरी ओर रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड (आरआरबी) द्वारा की जाने वाली भर्तियो की संख्या में भी बड़ी गिरावट देखने को आई है। डीओपीटी के डाटा के मुताबिक आरआरबी ने साल 2016-17 में रेलवे के 24427 पदों पर भर्ती की थी वहीं साल 2020-21 में यह आंकड़ा केवल 3873 ही रहा है।

देश के सरकारी और ग्रामीण बैंकों में प्रोबेशनरी ऑफिसर, क्लर्क और ऑफिस स्टाफ की नियुक्ति करने वाले इंस्टीट्यूट आफ बैंकिंग पर्सनल सिलेक्शन (आईबीपीएस) में भी कमोबेश यही स्थिति है। आईबीपीएस से साल 2019 में प्रोबेशनरी ऑफिसर के लिए 4336 पोस्ट निकाली थी लेकिन साल 2020 में यह संख्या 1167 ही रही यानी 67 प्रतिशत की कमी।

यह आंकड़े देश में रोजगार की विपरीत स्थितियों के गवाह हैं। देश में रोजगार एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। सोशल मीडिया पर भी रोजगार को लेकर आवाजें मुखर हो रही हैं। बीते दिनों ‘मोदी रोजगार दो’ और मध्यप्रदेश में रोजगार की मांग को लेकर ‘मामा रोजगार दो’ हैशटेग टाॅप ट्रेंडिंग में रहे थे।

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