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बेशर्म पत्रकारिता: सवाल उठे तो सुधीर चौधरी देने लगे नसीहत, मिला करारा जवाब

मोरबी में ब्रिज हादसे पर अपने न्यूज शो को लेकर पत्रकार सुधीर चौधरी को जमकर ट्रोलिंग का करना पड़ रहा सामना

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) गुजरात के मोरबी में ब्रिज गिरने से हुए हादसे पर अपने न्यूज शो को लेकर पत्रकार सुधीर चौधरी को जमकर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है। वे दिन भर ट्विटर के टॉप ट्रेंड में रहे। सोशल मीडिया के साथ कांग्रेस ने भी सुधीर चौधरी की पत्रकारिता पर सवाल उठाए हैं। युवक कांग्रेस के अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास ने तो सुधीर चौधरी को जमकर आइना दिखाया है।
दरसअल सुधीर चौधरी के कार्यक्रम ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ का एक क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल है। इसमें सुधीर चौधरी मोरबी में ब्रिज टूटने के पीछे वहां मौजूद लोगों की लापरवाही को ही जिम्मेदार बता रहे थे। वायरल क्लिप में प्रशासन और सरकार पर सवाल उठाने के बजाय लोगों को जिम्मेदार बताए जाने से सुधीर चौधरी को तीखी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा।

युवक कांग्रेस के अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास ने इस क्लिप को शेयर करते हुए इसे निहायत ही बेशर्म और घटिया पत्रकारिता बताया-

सुधीर चौधरी को युवक कांग्रेस के अध्यक्ष बीपी श्रीनिवास का कटाक्ष नागवार गुजरा और उन्होंने जवाबी ट्वीट में कांग्रेस और पत्रकारों के एक वर्ग को नसीहत दे डाली।

इस पर बीवी श्रीनिवास ने मोरबी हादसे को लेकर सुधीर चौधरी के चैनल ‘आज तक’ की ही एक रिपोर्ट को साझा कर करारा जवाब दिया। श्रीनिवास ने लिखा कि- तुम्हारी दलाली को तमाचा तुम्हारा चैनल ही मार रहा है, रिपोर्ट साझा कर रहा हूँ, सुन लो और आपसी सहमति से चैनल का स्टैंड क्लियर कर लो।

सोशल मीडिया पर कोलकाता में गिरे ब्रिज को लेकर सुधीर चौधरी के पुराने कार्यक्रम का एक अंश भी वायरल हुआ, जिसमें वे ब्रिज गिरने पर पश्चिम बंगाल की सरकार को जवाबदेह ठहरा रहे थे। इस क्लिप के साथ सुधीर चौधरी की पत्रकारिता को पक्षपाती भी करार दिया गया-

वहीं मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मोरबी पहुंचे। पीएम मोदी ने टूटे हुए केबल ब्रिज का मुआयना करने के साथ ही हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी। उन्होंने अस्पताल में उपचाररत घायलों से भी मुलाक़ात की। पीएम मोदी के मोरबी पहुँचने से पहले अस्पताल के रंग रोगन को लेकर विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथो लिया-

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गौरतलब है कि मोरबी पुल को रिनोवेशन के लिए 6 माह पहले बंद किया गया था और करीब 2 करोड़ की लागत से इसे रिनोवेट कर हादसे के 4 दिन पहले ही खोला गया था। पुल को बिना म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की अनुमति के खोला गया था। बड़ी बात यह है कि बिना इज़ाज़त खोले गए पुल पर रोजाना हज़ारों की संख्या में लोग जा रहे थे और सरकार और प्रशासन आँख बंद किये बैठा रहा।

केबिल ब्रिज की क्षमता 100 लोगों की थी। हादसे के समय 100 लोगों की क्षमता वाले पुल पर 400 से ज्यादा लोग उपस्थित थे। पुल पर जाने के लिए टिकट सिस्टम था, ऐसे में यह तय है कि केबिल ब्रिज ऑपरेट कर रही निजी कंपनी ने मुनाफा कमाने क्षमता से कहीं ज्यादा टिकट बेचे। हादसे को लेकर अब तक कार्रवाई के नाम पर नौ लोगों को अरेस्ट किया गया है। इनमें पुल का रखरखाव करने वाली ओरेवा कंपनी के दो मैनेजर, ब्रिज की रिपेयरिंग करने वाले दो कॉन्ट्रैक्टर, दो टिकट क्लर्क और तीन सिक्योरिटी गार्ड्स शामिल हैं।

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