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UP के नतीजों के दूसरे दिन ही मायावती को कोर्ट से मिली बड़ी राहत

कर्नाटक हाईकोर्ट ने मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा के खिलाफ एक मामले में आपराधिक कार्यवाही को किया रद्द।

बेंगलुरु (जोशहोश डेस्क) उत्तरप्रदेश चुनाव नतीजों के ठीक दूसरे दिन बसपा सुप्रीमो मायावती और पार्टी के महासचिव सतीश मिश्रा को एक आपराधिक मामले में बड़ी राहत मिली। कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा के खिलाफ लोक सेवक पर हमले के मामले में आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।

वेब पोर्टल बार & बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक मायावती के खिलाफ आरोप यह था कि उन्होंने चुनाव आयोग के अधिकारियों को कथित रूप से अपने कब्जे में मुद्रा बंडलों की जांच करने से रोका था और जब उन्होंने इसे गिनने की कोशिश की तो उनसे छीन लिया था।अधिकारी ने इसे गिनने की कोशिश की तो उनसे छीन लिया था। 2013 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान मायावती के पास मौजूद धन की जांच के दौरान शिकायत दर्ज हुई थी।

एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस सुनील दत्त यादव ने कहा कि यह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत धारा 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) के तहत अपराध नहीं होगा।

कोर्ट ने कहा, “इस मामले के तथ्यों में, जिस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है, वह यह है कि यद्यपि एक दावा है कि शिकायतकर्ता को करेंसी नोटों की गिनती करने से रोका गया था, शिकायत में एकमात्र दावा यह है कि करेंसी नोट बंडल को गिनने की अनुमति नहीं थी और अधिकारी के हाथों से छीन लिया गया था। वह अपने आप में जो कि शिकायतकर्ता का संस्करण है, पर्याप्त नहीं होगा, भले ही उसे आईपीसी की धारा 353 के तहत परिकल्पित आपराधिक बल के रूप में स्वीकार किया जाए।”

गौरतलब है कि मायावती की बसपा का यूपी चुनाव में प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। बसपा केवल सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुई है। साल 1989 में पार्टी के गठन के बाद से यह उसका सबसे ख़राब प्रदर्शन है। चुनाव में उसे महज़ 12.88 फीसदी मत मिले हैं। इससे कम मत आख़िरी बार उसे तीन दशक पहले मिले थे, लेकिन सीट संख्या तब दहाई अंकों मे थी।

वहीं बसपा पर आरोप लग रहा है कि उसने जिस तरह टिकट वितरण किया उससे भाजपा की जीत की राह आसान हुई है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बसपा ने 122 सीटों पर ऐसे उम्मीदवार खड़े किए, जो सपा के उम्मीदवार की ही जाति के थे। इनमें 91 मुस्लिम बहुल, 15 यादव बहुत सीटें थीं। ये ऐसी सीटें थीं, जिसमें सपा की जीत की प्रबल संभावना थी। बसपा की मौजूदगी के चलते इन 122 में 68 सीटों पर भाजपा गठबंधन जीत दर्ज़ करने में कामयाब रहा।

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