नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) आज सोशल मीडिया की दुनिया से कोई भी अनछुआ नहीं रहा है। अब जब मेनस्ट्रीम मीडिया से ज्यादा लोकप्रिय सोशल मीडिया हो चुका है तब ऐसे में विज्ञापन देने का तरीका भी बदल रहा है।अब मेनस्ट्रीम मीडिया के अलावा सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर का उपयोग करके अपने उत्पाद का विज्ञापन करते हैं। ये सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स जो सामान्य रूप से या तो सेलिब्रिटीज होते हैं या वह युवा जो सोशल मीडिया पर बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है वह पैसे लेकर उपभोक्ता वस्तुओं का प्रचार करते हैं। अब ASCI (Advertising Standards Council Of India) ने सभी इन्फ्लुएंसर्स पर लगाम कसने की सोची है।
ASCI ने बनाए नए नियम
दरअसल अब तक इस तरह के प्रचार का कोई भी नियम नहीं था यही कारण है कि अब एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया एएसटीआई (ASCI) इन डिजिटल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए एक नीति बनाने की तैयारी कर रहा है। इसके अंतर्गत को विज्ञापन करने से पहले बताना होगा कि यह विज्ञापन है इसके लिए काउंसिल ने कुछ शब्द तय किए हैं जो उन्हें अपने विज्ञापन पर लगाना होंगे। साथ ही यह बताना होगा कि यह विज्ञापन है #ad या स्पॉन्सर्ड#sponsored है या पार्टनरशिप#partnership है या कोलैबोरेशन#collab है या प्रमोशन#promo है।
इन्फ्लुएंसर्स को यह डिस्क्लोज़ करना होगा
ASCI ने ड्राफ्ट गाइडलाइन जारी कर कहा है कि डिजिटल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को यह साफ़ तौर पर बताना होगा कि क्या यह ad है? यदि हां तो इसका स्पोंसर कौन हैं? क्योंकि हर बार यह पता नहीं चल पाता है कि यह ad कौन चलवा रहा है।
ASCI चाहता है कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स कंटेंट के शुरुवात में या अंत में ऑडियो मैसेज या लेवल लगाए।
15 अप्रैल से लागू होगी गाइडलाइन
ASCI ने इन नियमों का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है, जिसकी फाइनल गाइडलाइन 31 मार्च को ज़ारी करेगें और जिसे 15 अप्रैल से लागू की जाएगी।
ASCI के चेयरमैन सुभाष कामथ ने जानकारी दी कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के आ जाने के बाद सोशल और डिजिटल मार्केटिंग बहुत तेज़ी से बढ़ी है। एक रिपोर्ट के अनुसार दिसम्बर 2020 में ads की डिजिटल व्यूरशिप गांव (82%) और शहरों (83 %) में लगभग सामान ही आई है। कामथ ने बताया कि सोशल मीडिया बहुत अच्छा विकल्प है जिससे मार्केटिंग बढ़ाई जा सकती है।
डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी का कहना है कि भारत का इन्फ्लुएंसर्स मार्केट लगभग 75 डॉलर से 150 डॉलर मिलियन है।
गाइडलाइन के अनुसार,
इन्फ्लुएंसर्स कोई भी ऐसा फ़िल्टर इस्तेमाल नहीं करेगें जिससे प्रोडक्ट को बढ़ाचढ़ा कर प्रस्तुत किया जाए, साथ ही हर ad के साथ क्लेम करना होगा कि ad किस तरह का है
यदि आप फ़िल्टर यूज कर भी रहे हैं तो आपको एग्रीमेंट (इन्फ्लुएंसर्स-ad देने वाले) में भी साफ़ होना चाहिए कि आप जो फ़िल्टर यूज़ कर रहे हैं उसे लेबल के साथ पेश करेगें जिससे दर्शक या ग्राहक भ्रमित न हो।
बता दें, इससे पहले ऐसा कोई नियम या गाइडलाइन नहीं बनाई गई थी। पर अब ASCI ने इसके बारे में ठोस कदम उठाया है, जिसका स्वागत इन्फ्लुएंसर्स ने भी किया है।
इन्फ्लुएंसर्स का कहना है कि गाइडलाइन का पालन करने से हम भी क्लियर रहेगें कि और हमारे फॉलोवर्स भी क्योंकि कई बार फॉलोवर्स को लगता है कि हम ( फॉलोवर्स ) जो मार्केटिंग या प्रमोशन कर रहे हैं तो वो पेड ही होगा, जबकि कई बार ऐसा नहीं होता है।