योगीराज में NSA का दुरुपयोग, हाईकोर्ट ने 120 में से 94 केस किए रद्द
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) जनवरी 2018 से लेकर दिसंबर 2020 तक उत्तरप्रदेश सरकार ने 120 मामलों में नेशनल सिक्योरिटी एक्ट लगाया है। इनमें से 94 मामलों की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एनएसए के आदेश को रद्द करते हुए जमानत दे दी है। वहीं इसे एनएसए कानून का दुरुपयोग माना है। इंडियन एक्सप्रेस की पड़ताल में यह बातें सामने आई हैं। द इंडियन एक्सप्रेस ने पुलिस और कोर्ट के रिकॉर्ड की पड़ताल की है। जिसमें यह बातें सामने आई हैं।
पड़ताल में सामने आया है कि इनमें से 70 प्रतिशत से अधिक मामलों (30 केस) में हाईकोर्ट ने यूपी प्रशासन के लगाए एनएसए के आदेश को रद्द कर दिया और याचिकाकर्ता की रिहाई के लिए कहा है। बाकि 11 गौ हत्या के मामलों में गिरफ्तारी पर आरोपियों को जमानत देते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि इनकी न्यायिक हिरासत की आवश्यकता नहीं थी।
इंडियन एक्सप्रेस की पड़ताल में यह मुख्य बातें सामने आई हैं –
- 11 मामलों में अदालत ने आदेश पारित करते हुए यह हवाला दिया है कि डीएम द्वारा दिमाग का सही इस्तेमाल नहीं किया गया।
- 13 मामलों में अदालत द्वारा यह कहा गया है कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को एनएसे को चुनौती देने के लिए सही ढंग से अवसर नहीं दिया गया है।
- सात केस ऐसे हैं जहां अदालत ने कहा है कि ये मामले कानून और व्यवस्था के दायरे में आते हैं। इन मामलों में एनएसए लागू करने की आवश्यकता नहीं है।
पड़ताल में यह भी सामने आया है कि एफआईआर में लिखी गई बातें और डीएम द्वारा बताए गए आधार लगभग एक जैसे ही हैं। जैसे कि करीब नौ मामलों मे एफआईआर के आधार पर एनएसए लगाया गया है जिसमें यह दावा किया गया था कि गो हत्या को लेकर अज्ञात मुखबिर की खबर के आधार पर पुलिस ने कार्यवाई की थी। वहीं 13 मामलों की एफआईआर में यह दावा किया गया था कि गो हत्या कथित तौर पर खुले कृषि क्षेत्र या जंगम में हुआ था।
यदि एनएसए लगाने के आदेशों में डीएम द्वारा बताए गए आधार की बात करें तो वो भी करीब एक जैसे हैं। जैसे कि गो हत्या से जुड़े सात मामलें में आरोप लगाते हुए एनएसए के आदेश में लिखा है कि भय और आंतक के माहौल ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया है।