भाजपा और उसके पूर्वज ने कभी भी अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन नहीं किया – किसान संयुक्त मोर्चा
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) कृषि कानून पर 76वें दिन से किसानों का प्रदर्शन जारी है, ऐसे में प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में किसानों के मुद्दे पर सोमवार को अपनी बात रखी। हालांकि प्रधानमंत्री के एक शब्द को संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से उसे किसानों का अपमान करार दिया गया है, वहीं इसकी निंदा भी की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में ‘आंदोलनजीवी’ शब्द का इस्तेमाल किया। जिसपर संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “हम प्रधानमंत्री द्वारा किसानों के किये गए अपमान की निंदा करते हैं और प्रधानमंत्री को याद दिलाना चाहेंगे कि वे आंदोलनजीवी ही थे, जिन्होंने भारत को औपनिवेशिक शासकों से मुक्त करवाया था और इसीलिए हमें आंदोलनजीवी होने पर गर्व भी है।”
“यह भाजपा और उसके पूर्वज ही हैं जिन्होंने कभी भी अंग्रेजों के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं किया। वे हमेशा जन आंदोलनों के खिलाफ थे, इसलिए वे अभी भी जन आंदोलनों से डरते हैं।”
हालांकि प्रधानमंत्री ने सोमवार को कृषि कानून पर फिर बातचीत कर इस मसले को हल करने की बात कही।
संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, “अगर सरकार अब भी किसानों की मांगों को स्वीकार करती है, तो किसान वापस जाकर पूरी मेहनत से खेती करने के लिए अधिक खुश होंगे। यह सरकार का अड़ियल रवैया है, जिसके कारण ये आंदोलन लंबा हो रहा है जो कि आंदोलनजीवी पैदा कर रहा है।”
प्रधानमंत्री ने सोमवार को एमएसपी पर भी अपनी बात रखते हुए कहा कि, एमएसपी था, है और रहेगा। इसपे किसान मोर्चा ने माना है कि, “एमएसपी पर खाली बयानों से किसानों को किसी भी तरह से फायदा नहीं होगा और अतीत में भी इस तरह के अर्थहीन बयान दिए गए थे। किसानों को वास्तविकता में और समान रूप से टिकाऊ तरीके से तभी लाभ होगा जब सभी फसलों के लिए एमएसपी को खरीद समेत कानूनी गारंटी दी जाती है।”
प्रधानमंत्री ने सोमवार को आंदोलनजीवियों से देश को सावधान रहने की जरूरत बताई। तो वहीं ‘एफडीआई’ का नया अर्थ बताते हुए कहा कि फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी नामक नए एफडीआई से सावधान रहना होगा। जिसपर मोर्चा ने कहा कि, “हम सभी तरह के एफडीआई का विरोध करते हैं। पीएम का एफडीआई दृष्टिकोण भी खतरनाक है, यहां तक कि हम खुद को किसी भी (एफडीआई) ‘विदेशी विनाशकारी विचारधारा’ से दूर करते हैं।”
“हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा रचनात्मक लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के साथ खड़ा है जो दुनिया में कहीं भी बुनियादी मानवाधिकारों को बनाए रखते हैं और पूरी दुनिया में सभी न्यायसंगत विचारधारा वाले नागरिकों से समान पारस्परिकता की अपेक्षा करते हैं क्योंकि “कहीं भी हो रहा अन्याय हर जगह के न्याय के लिए खतरा है।”
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में दो नए शब्दों के जरिए आंदोलन को हवा देने वाले नेताओं और एक्टिविस्ट पर निशाना साधा था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि, “हम कुछ शब्दों से बहुत परिचित हैं, जैसे श्रमजीवी और बुद्धिजीवी। पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है, नई बिरादरी सामने आई है। यह जमात है आंदोलनजीवी।”
“वकीलों का आंदोलन हो, मजदूरों का आंदोलन हो, छात्रों या कोई भी आंदोलन हो, ये पूरी टोली वहां नजर आती है। आंदोलन के बगैर जी नहीं सकते। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा। ये बहुत आइडियोलॉजिकल स्टैंड दे देते हैं। देश आंदोलनजीवी लोगों से बचें, ऐसे लोगों को पहचानने की बहुत आवश्यकता है। आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं।”
संयुक्त किसान मोर्चा किसानों की मांगों को गंभीरता से और ईमानदारी से हल करने में सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाता है। हम इस तथ्य पर सवाल उठाते हैं कि सरकार किसान संगठनों को ड्राफ्ट बिल वापस लेने का आश्वासन देने के बावजूद विद्युत संशोधन विधेयक संसद में पेश कर रही है।
(इस खबर के इनपुट आईएएनएस से लिए गए हैं।)