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पत्रकार ने ट्वीट किया- Tripura is burning, भाजपा सरकार ने लगाया UAPA

त्रिपुरा सरकार ने पत्रकार श्याम मीरा सिंह पर दर्ज़ किया UAPA के तहत केस, सोशल मीडिया पर विरोध।

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) पत्रकार श्याम मीरा सिंह पर त्रिपुरा में सत्ताधारी भाजपा सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत केस दर्ज किया है। पत्रकार श्याम मीरा सिंह के मुताबिक सरकार ने UAPA का केस उनके एक ट्वीट के चलते दर्ज किया है जिसमें उन्होंने लिखा था त्रिपुरा जल रहा (Tripura is burning) है। पत्रकार श्याम मीरा सिंह पर UAPA लगाए जाने का सोशल मीडिया पर विरोध भी किया जा रहा है।

त्रिपुरा सरकार द्वारा UAPA के तहत केस दर्ज़ किये की बात पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने सोशल मीडिया पर शेयर की है। उन्होंने लिखा कि त्रिपुरा में चल रही घटनाओं को लेकर, मेरे तीन शब्द के एक ट्वीट पर त्रिपुरा पुलिस ने मुझ पर UAPA के तहत मुक़दमा दर्ज किया है, त्रिपुरा पुलिस की FIR कॉपी मुझे मिल गई है, पुलिस ने एक दूसरे नोटिस में मेरे एक ट्वीट का ज़िक्र किया है. ट्वीट था- Tripura Is Burning”. त्रिपुरा की भाजपा सरकार ने मेरे तीन शब्दों को ही आधार बनाकर UAPA लगा दिया है।

पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने कैसे दर्ज़ होने के बाद लिखा कि लिखा कि जेल जाने से पहले चाहता हूँ सताए हुए लोगों की तकलीफ़ पूरी दुनिया के सामने आए। आज शाम 6 बजे से #Tripura_Is_Burning हैशटैग के साथ ट्वीट करने हैं, और केंद्र सरकार और त्रिपुरा पुलिस से कहना है कि लगाओ UAPA. सच बोलना है जुर्म है तो हम ये जुर्म हज़ार बार करेंगे-

https://twitter.com/ShyamMeeraSingh/status/1457215348617273345?s=20

दूसरी ओर पत्रकार श्याम मीरा सिंह पर केस दर्ज़ किये जाने का सोशल मीडिया पर विरोध शुरू हो गया है-

https://twitter.com/kadvamukesh/status/1457224051185750022?s=20

गौरतलब है कि त्रिपुरा पुलिस ने हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में 102 ट्विटर अकाउंट्स के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत केस दर्ज किया है। इन ट्विटर अकाउंट्स पर भ्रामक और गलत जानकारी फैलाने का आरोप है। इनमें से 68 टि्वटर अकाउंट्स को राज्य पुलिस ने ब्लॉक कराया है। मामले की जांच भी अब क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है। इससे पहले पुलिस ने सांप्रदायिक हिंसा के मामले में फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट जारी होने के एक दिन बाद टीम के सदस्य रहे सुप्रीम कोर्ट के चार वकीलों पर भी यूएपीए के तहत केस दर्ज किया था।

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