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बंधक जवान की पत्नी की गुहार-अभिनंदन की तरह क्यों नहीं हो रही रिहाई, चुनाव प्रचार पर गृहमंत्री

छत्तीसगढ के बीजापुर में नक्सली हमले में 22 जवानों की शहादत के बाद अभी भी एक जवान नक्सलियों के पास बंधक है।

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) छत्तीसगढ के बीजापुर में नक्सली हमले में 22 जवानों की शहादत के बाद अभी भी एक जवान नक्सलियों के पास बंधक है। बंधक जवान राकेश्वर के परिजन सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि पाक के कब्जे से अभिनंदन की वापसी की तरह राकेश्वर की भी सकुशल रिहाई कराइ जाए। वहीं गृहमंत्री अमित शाह बुधवार को दोबारा चुनाव प्रचार पर निकल पड़े। अमित शाह बुधवार को पश्चिम बंगाल में चार चुनावी रैलियों में भाग लेंगे।

नक्सलियों ने यह संकेत दिया है कि सीआरपीएफ के जवान राकेश्वर सिंह मन्हास उनके कब्जे में सुरक्षित हैं। साथ ही नक्सलियों ने जवान की रिहाई के लिए सरकार से वार्ता के लिए मध्यस्थों के नाम बताने की शर्त रखी है। नक्सलियों ने कहा है कि जब तक नाम उनके सामने नहीं आते तब तक जवान उनके कब्जे में रहेगा।

सीआरपीएफ के जवान राकेश्वर सिंह

हमले के बाद नक्सली सरगना हिड़मा पर शिकंजा और कसता जा रहा है। माना जा रहा है कि नक्सली बंधक जवान राकेश्वर की रिहाई के एवज में हिड़मा को लेकर कोई शर्त रख सकते हैं जिसे लेकर वे मध्यस्थ चाहते हैं।

हमले के बाद गृहमंत्री अमित शाह बीजापुर पहुंचे थे। यहाँ सीआरपीएफ कैंप में उन्होंने जवानों से संवाद भी किया था। वहीं जगदलपुर में मीडिया से बातचीत में अमित शाह ने कहा था कि नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई को अंजाम तक ले जाना मोदी सरकार की पहली प्राथमिकता है।

इधर लापता जवान राकेश्वर सिंह के परिजनों का बुरा हाल है। राकेश्वर जम्मू के निकट बरनई के रहने वाले हैं। वे दो साल से नक्सली इलाके में तैनात हैं। उनकी पत्नी मीनू ने मीडिया को बताया कि शुक्रवार रात उनसे बात हुई थी। वह कह रहे थे कि एक आपरेशन पर जाना है उसके बाद से कोई संपर्क नहीं हुआ है।

जवान राकेश्वर सिंह की बेटी का भावुक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है

मीनू का कहना है कि लापता जवान को सुरक्षित तलाशना सरकार की जिम्मेदारी है। तीन दिन से लापता होने की बात कही जा रही है कोई सही स्थिति नहीं बता रहा है। सरकार जिस तरह विंग कमांडर अभिनंदन को सकुशल ले आई थी उसी तरह मेरे पति की भी सकुशल रिहाई कराई जाए।

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