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जब डेथ सर्टिफिकेट पर कोरोना का जिक्र नहीं तो कैसे देंगे मुआवजा-सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह भी सवाल किया कि क्या डेथ सर्टिफिकेट को लेकर कोई काॅमन पाॅलिसी है?

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) कोरोना से मौतों के मामलों को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि जब डेथ सर्टिफिकेट पर कोरोना का जिक्र ही नहीं हो रहा तो यह किस आधार पर पहचाना जाएगा कि किस परिवार को मुआवजा मिलना चाहिए या नहीं? कोर्ट ने यह भी कहा कि इससे तो मौतों के आंकड़े भी कम दिखाए जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि यह मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव के आाधार पर यह कह रहा हूँ कि जब कोई व्यक्ति कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती होता है और उसकी मौत हो जाती है तो उसके डेथ सर्टिफिकेट पर मौत का कारण कोरोना नहीं बल्कि लंग्स इइंफेक्शन या हार्ट अटैैक बताया दिया जाता है।

सुप्रीमकोर्ट ने सरकार से यह भी सवाल किया कि क्या डेथ सर्टिफिकेट को लेकर कोई काॅमन पाॅलिसी है? क्या डेथ सर्टिफिकेट पर यह नहीं लिखा होना चाहिए कि मरीज की मौत कोरोना से हुई है?

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सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दो वकीलों द्वारा दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे को लेकर केंद्र सरकार से दस दिनों में जवाब मांगा है। साथ ही इस बात का भी जवाब मांगा है कि क्या डेथ सर्टिफिकेट को लेकर आईसीएमआर की कोई गाइडलाइन है? मामले की अगली सुनवाई 11 जून को होगी।

मध्यप्रदेश में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं। नगर निगम कोरोना से मौत पर भी सामान्य प्रमाण पत्र जारी कर रहा है। बड़ी बात यह है कि नगर निगम द्वारा अस्पताल और विश्राम घाट के उन प्रमाणपत्रों की मूल प्रति भी जमा करा ली जा रही है जिन पर मौत का कारण स्पष्ट रूप से कोरोना लिखा गया है। ऐसे में अब मृतकों के आश्रितों के पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं बच रहा जिससे वे अपने परिजन की मौत को कोरोना संक्रमण से हुई मौत साबित कर सकें।

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