New Education Policy : नई शिक्षा नीति में क्या है नया, बिंदुवार जानिए
कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) को हरी झंडी दे दी है।
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy) को हरी झंडी दे दी है। नई शिक्षा का लक्ष्य 2030 तक 3-18 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है। छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे। इसके लिए इसके इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप करवाई जाएगी। इसके अलावा म्यूज़िक और आर्ट्स को बढ़ावा दिया जाएगा 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है। नई शिक्षा नीति की उल्लेखनीय बातें सरल तरीके की इस प्रकार हैं-
जानें क्या है खास बातें
केवल 12वीं क्लास में होगा बोर्ड, MPhil होगा बंद, कॉलेज की डिग्री 4 साल की
10वीं बोर्ड खत्म, MPhil भी होगा बंद
- अब 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगा। बाकी विषय चाहे वो अंग्रेजी ही क्यों न हो, एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाएगा।
- अब सिर्फ 12वींं में बोर्ड की परीक्षा देनी होगी. जबकि इससे पहले 10वी बोर्ड की परीक्षा देना अनिवार्य होता था, जो अब नहीं होगा।
- 9वींं से 12वींं क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी. स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 फॉर्मूले के तहत पढ़ाया जाएगा।
- वहीं कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल की होगी. यानि कि ग्रेजुएशन के पहले साल पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल पर डिप्लोमा, तीसरे साल में डिग्री मिलेगी।
- 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है. वहीं हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी. 4 साल की डिग्री करने वाले स्टूडेंट्स एक साल में MA कर सकेंगे।
- अब स्टूडेंट्स को MPhil नहीं करना होगा. बल्कि MA के छात्र अब सीधे PHD कर सकेंगे।
- 10वीं में नहीं होगें बोर्ड एग्जाम।
स्टूडेंट्स बीच में कर सकेंगे दूसरे कोर्स
हायर एजुकेशन में 2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो 50 फीसदी हो जाएगा। वहीं नई शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहे तो पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर वो दूसरा कोर्स कर सकता है।
ई-कोर्स किए जाएंगे शुरू
हायर एजुकेशन में भी कई सुधार किए गए हैं, सुधारों में ग्रेडेड अकेडमिक, ऐडमिनिस्ट्रेटिव और फाइनेंशियल ऑटोनॉमी आदि शामिल हैं। इसके अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स शुरू किए जाएंगे। वर्चुअल लैब्स विकसित किए जाएंगे. एक नैशनल एजुकेशनल साइंटफिक फोरम (NETF) शुरू किया जाएगा। बता दें कि देश में 45 हजार कॉलेज हैं।
पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम किया गया लागू
पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू किया गया है। आप इसे ऐसे समझ सकते हैं। आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरिंग पढ़ने या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो आपके पास कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफ़िकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद डिग्री मिल जाएगी। इससे उन छात्रों को बहुत फ़ायदा होगा जिनकी पढ़ाई बीच में किसी वजह से छूट जाती है।
इन कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्रों की उम्र कुछ इस प्रकार होगी
- नर्सरी- 4 साल
- जूनियर KG- 5 साल
- सीनियर KG- 6 साल
- कक्षा 1- 7 साल
- कक्षा 2- 8 साल
- कक्षा 3- 9 साल
- कक्षा 4- 10 साल
- कक्षा 5- 11 साल
- कक्षा 6- 12 साल
- कक्षा 7- 13 साल
- कक्षा 8- 14 साल
- कक्षा 9- 15 साल
- कक्षा 10- 16 साल
- कक्षा 11- 17 साल
- कक्षा 12 – 18 साल
बता दें, यह सभी नियम सरकारी, निजी, डीम्ड सभी संस्थानों के लिए समान रूप से लागू किए जाएंगे।
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केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति को सभी प्रकार से क्रांतिकारी बताया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति, प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा को बढ़ावा देने और माध्यमिक स्तर पर छात्रों के लिए व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने जैसे कई पहलुओं पर केंद्रित है। नई शिक्षा नीति को सही तरीके से लागू करने के लिए सरकार शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण भी दिलाएगी। दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय अखंड कांफ्रेंस ‘एडुकॉन 2020’ को संबोधित करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा, “हमें अपने छात्रों के साथ-साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कार्यान्वयन के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है।”
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, “21वीं सदी को पूरे विश्व में ज्ञान की सदी के रूप में जाना जाता है। सतत विकास लक्ष्यों की सूची के लक्ष्य चार के अंतर्गत समावेशी शिक्षा प्रणाली के महžव की ओर इशारा करता पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा एवं ग्लोबल एजुकेशनल रिसर्च एसोसिएशन का अखंड अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन का यह प्रयास सराहनीय है। निश्चित तौर पर यह सम्मलेन हमें इस बात का बोध कराता है कि किसी भी समस्या के निराकरण के लिए उच्च शिक्षा का विशेष महत्व है।”
निशंक ने सभी को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में बताते हुए कहा कि यह नीति ज्ञानार्जन अवसरों के लिए उच्च शिक्षा में अंतरविषयी अध्ययन और एकीकृत पाठ्यक्रम पर जोर देती है। इसका उद्देश्य मूल्य-आधारित समग्र शिक्षा प्रदान करना, वैज्ञानिक स्वभाव का विकास करना और साथ ही भारत के युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है।
उन्होंने आगे कहा कि यह नीति शिक्षण प्रक्रिया में तकनीकी के और अधिक उपयोग के लिए रूपरेखा तैयार करने, ऑनलाइन पाठ्यक्रम सामग्री के विकास, अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की शुरुआत और राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच की स्थापना सरीखे नवीन सुधारों पर जोर देती है, जो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में भारतीय विद्वानों को लाभान्वित करेगी।