क्या जितनी बताई जा रही है उतनी बड़ी है द्रौपदी मुर्मु की जीत?
अगर वोटों के लिहाज से देखा जाये तो द्रौपदी मुर्मु बीते चुनाव में रामनाथ कोविंद को मिले वोट के आंकड़े तक भी नहीं पहुँच सकीं हैं।
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) द्रौपदी मुर्मू अपेक्षानुरूप विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को आसानी से मात देकर भारत की 15वीं राष्ट्रपति चुनी गई हैं। द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में कुल 6,76,803 मत हासिल हुए जो कुल वोट का करीब 64 फीसदी था। वहीं यशवंत सिन्हा को कुल 3,80,177 वोट मिले, जो कुल वोट का करीब 36 फीसदी है। अगर वोटों के लिहाज से देखा जाये तो द्रौपदी मुर्मु बीते चुनाव में रामनाथ कोविंद को मिले वोट के आंकड़े तक भी नहीं पहुँच सकीं और यशवंत सिन्हा बीते चार चुनाव में सबसे अधिक वोट हासिल करने में सफल रहे हैं।
द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाए जाने के साथ ही उनकी जीत तय मानी जा रही थी। आदिवासी और महिला होने के कारण गैर एनडीए दलों से भी मुर्मु को समर्थन मिला था और क्रॉस वोटिंग का अंदेशा भी पहले ही जताया जा रहा था। इसके बाद भी मुर्मू सात लाख वोट के आंकड़े तक नहीं पहुँच पाईं हैं।
इसके विपरीत अगर विपक्ष के उम्मीदवार की बात की जाए तो बीते चार चुनावों में यशवंत सिन्हा सर्वाधिक मत हासिल करने वाले उम्मीदवार साबित हुए हैं। 2017 में विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को क़रीब 3 लाख 67 हजार वोट मिले थे, जबकि 2012 में भाजपा के विपक्षी उम्मीदवार पीए संगमा को करीब तीन लाख 15 हज़ार वोट मिले थे ।
इस बार यशवंत सिन्हा ने करीब 3 लाख 80 हज़ार वोट हासिल किये हैं। यहां तक कि 2007 में भाजपा के कद्दावर विपक्षी उम्मीदवार भैरोंसिंह शेखावत भी प्रतिभा पाटिल के सामने करीब 3 लाख 31 हज़ार वोट ही हासिल कर सके थे।
राष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज्यादा अंतर से जीत का रिकॉर्ड पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम है। उन्होंने 1957 के चुनाव को 98.4% वोटों के अंतर से जीता था। वही सबसे छोटी जीत का रिकॉर्ड वीवी गिरी के नाम है। साल 1969 में हुए पांचवें राष्ट्रपति चुनाव में वीवी गिरी को 4,01,515 और नीलम संजीव रेड्डी को 3,13,548 वोट मिले थे और जीत का अंतर केवल 87,967 वोटों का ही था।