क्या बहुप्रचारित ‘डबल इंजन’ सरकार की विफलताओं का स्मारक है मणिपुर?
मणिपुर में बीते एक महीने से जारी हिंसा, दावों पर उठ रहे सवाल
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) राज्यों के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंती नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी को डबल इंजन सरकार के नाम पर वोट मांगते खूब देखा गया। केंद्र और राज्य में एक ही दल यानी भाजपा को लेकर बनाई गई डबल इंजन सरकार को लेकर तमाम दावे भी किए जाते लेकिन मणिपुर में एक महीने से चल रही हिंसा से इन दावों पर सवाल उठ रहे हैं।
केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मणिपुर में एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है। इसके बाद भी मणिपुर में बीते एक महीने से जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। राज्य में लोग अपने घर छोड़कर दूसरे राज्यों में शरण ले रहे हैं। हिंसा के चलते पूरा महीना बीत गया, लेकिन हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। राज्य में हिंसा के चलते अब तक 80 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। केंद्र और राज्य सरकार सुरक्षा बलों को सख़्ती से निबटने के आदेश देने के अलावा कुछ नहीं कर पा रही है।
इन हालातों में भी गृहमंत्री अमित शाह डबल इंजन सरकार के कसीदे पढ़ रहे हैं। बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह ने इम्फाल में मीडिया से चर्चा में कहा कि 29 अप्रैल को मणिपुर हाईकोर्ट के एक जल्दबाज फैसले के कारण यहां पर जातीय हिंसा और दो ग्रुप के बीच में हिंसा की शुरुआत हुई। शाह का कहना है कि सरकार को पिछले 6 वर्षों से जब से मणिपुर में भाजपा सरकार आई तब से मणिपुर बंद, कर्फ्यू और हिंसा से मुक्त हो गया था। शाह के मुताबिक़ मणिपुर में डबल इंजन की सरकार ने विकास के सभी पैमानों में अभूतपूर्व सिद्धि हासिल की है।
दूसरी ओर हाल यह है कि मणिपुर के 13 शीर्ष एथलीट्स ने केंद्र सरकार को अपने मेडल वापिस करने की चेतावनी तक दी है। इनमे प्रसिद्ध मुक्केबाज सरिता देवी और ओलंपियन मीराबाई चानू शामिल हैं। एथलीटों का कहना है कि अगर राज्य में में हिंसा नहीं रुकी, तो वे अपने सारे पदक वापस कर देंगे।
कांग्रेस ने भी मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र और राज्य सरकार को जिम्मेदार बताया है। कांग्रेस के मुताबिक़ मणिपुर में अब तक 54,000 लोग बेघर हो गए हैं, 20 पुलिस स्टेशन जला दिए गए और 2,000 मकान जल चुके हैं। हिंसा के दौरान 6,000 गोलियां, 1,000 सेमी-ऑटोमेटिक, ऑटोमेटिक हथियार तक लूट लिए गए हैं। अब तक 5 मंदिरों, 200 चर्चों को जला दिया गया। कांग्रेस का आरोप है कि राज्य हिंसा में जलता रहा लेकिन प्रधानमंत्री चुनाव प्रचार में व्यस्त रहे।
बड़ी बात यह है कि हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान के बयानों तक में जबर्दस्त विरोधाभास है। राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने जहाँ यह दावा किया था कि राज्य में समुदायों के बीच कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं है और ताजा झड़पें कुकी उग्रवादियों और सुरक्षा बलों के बीच लड़ाई का परिणाम थीं वहीं जनरल चौहान का कहना है कि मणिपुर में इस विशेष स्थिति का उग्रवाद से कोई लेना-देना नहीं है और यह मुख्य रूप से दो जातियों के बीच का संघर्ष है।