क्या है मोदी का लाइट हाउस प्रोजेक्ट!
लाइट हाउस प्रोजेक्ट (Light House Project) केंद्रीय शहरी मंत्रालय की योजना है।
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) लाइट हाउस प्रोजेक्ट (Light House Project) केंद्रीय शहरी मंत्रालय की योजना है। जिसके तहत देश के सभी ग़रीब और बेघर लोगों को 2022 तक जलवायु और इकोलॉजी का ध्यान रखते हुए टिकाऊ आवास प्रदान किए जाएंगे। इस योजना के अंतर्गत बनने वाले सभी घरों को पुरानी परंपराओं से एक दम अलग बनाया जाएगा। इन मकानों के निर्माण में ईंट और गारा का उपयोग न कर सरकार इस प्रोजेक्ट में खास तकनीक रेफैब्रिकेटेड का इस्तेमाल कर सस्ते और मजबूत मकान बनाएगी। इस प्रोजेक्ट में फैक्टरी से ही बीम-कॉलम और पैनल तैयार कर घर बनाने के स्थान पर लाया जाता है, इसका फायदा ये होता है कि निर्माण की अवधि और लागत कम हो जाती है। इसलिए प्रोजेक्ट में खर्च कम आता है. इस प्रोजेक्ट के तहत बने मकान पूरी तरह से भूकंपरोधी होंगे। लाइट हाउस प्रोजेक्ट के लिए जिन राज्यों को चुना गया है उनमें त्रिपुरा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु शामिल हैं।
मकान का डिज़ाइन और एरिया क्या होगा
इस प्रोजेक्ट के तहत 34.50 वर्ग मीटर एरिया में 14 मंजिला टावर बनाए जाएंगे। कुल 1,040 फ्लैट तैयार होंगे, हर फ्लैट 415 वर्ग फुट का होगा। जानकारी के मुताबिक, घरों की कीमत 12.59 लाख रुपये है, जिसमें केंद्र और प्रदेश सरकार की तरफ से 7.83 लाख रुपये अनुदान के तौर पर दिए जाएंगे। बाकी 4.76 लाख रुपये लाभार्थियों को देने होंगे। फ्लैट का आवंटन प्रधानमंत्री आवास योजना के अनुसार होगा।
6 देशों की 6 अलग तकनीकों से बनेंगे मकान
लाइट हाउस प्रोजेक्ट के तहत बनने जा रहे मकानों को 6 देशों की 6 अलग तकनीकों का इस्तेमाल कर के बनाया जाएगा। इन घरों के निर्माण में फ़्रांस, जर्मनी और कनाडा जैसे देशों की आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
इंदौर में कुछ ऐसे होगा मकानों का निर्माण
मध्यप्रदेश में बनने वाले 1 हज़ार घरों का निर्माण रेफैब्रिकेटेड सैंडविच पैनल सिस्टम तकनीक से किया जाएगा। इसमें दीवारों को निर्माण स्थल पर ईंट व गारे के बजाय फैक्ट्री में फाइबर शीट के दोनों तरफ सीमेंट की परत चढ़ाकर तैयार किया जाता है। फिर शीट को फ्रेम में फिट कर दिया जाता है। इस तकनीक में दीवारों को तराई की जरूरत नहीं होती। वहीं इंदौर के अलावा 5 अन्य शहरों में प्रीकास्ट कंक्रीट कंस्ट्रक्शन सिस्टम, लाइटगेज स्टील इनफिल पैनल और 3 डी प्रीकास्ट कंक्रीट जैसी विदेशी तकनीकों के ज़रिए मकानों का निर्माण किया होगा।
कब तक बन कर तैयार होंगे मकान
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और लखनऊ में प्रोजेक्ट को लेकर यूपी के नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन ने कहा कि नई तकनीक के प्रयोग के कारण निर्माण कार्य करीब एक साल में पूरा हो सकेगा। प्री फैब्रिकेटेड चीजों के प्रयोग से निर्माण ज्यादा टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल होगा। केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने 2017 में GHTC-इंडिया के तहत लाइट हाउस प्रोजेक्ट के लिए छह स्थानों को चुनने के लिए राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों को कहा था। मंत्रालय ने इसमें सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को प्रोत्साहित किया था। मानकों के मुताबिक, सबसे अधिक मार्क्स पाने वाले 6 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में लाइट हाउस प्रोजेक्ट की शुरुआत करने की घोषणा की गई थी।
बता दें, प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया। इस प्रोजेक्ट के तहत मध्यप्रदेश के इंदौर में भी 1 हज़ार घर बनाए जाएंगे। शुक्रवार को छह राज्यों में ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया के तहत लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स की आधारशिला रखी गई। जिसमें मध्यप्रदेश का इंदौर जिला भी शामिल है, इंदौर शहर में 1 हज़ार घर बनाए जाएंगें, शहर के इस प्रोजेक्ट में 128 करोड़ रूपए खर्च होने वाले है।