मोदी सरकार का विरोध, निजीकरण के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन करेगा ‘संघ’
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) केंद्र की मोदी सरकार द्वारा सरकारी उपक्रमों को बेचने का विरोध करेगा। इसको लेकर बाकायदा मार्च से लेकर नवंबर तक देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
Ashok Chaturvedi
हैदराबाद (जोशहोश डेस्क) राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) केंद्र की मोदी सरकार द्वारा सरकारी उपक्रमों को बेचने का विरोध करेगा। इसको लेकर बाकायदा मार्च से लेकर नवंबर तक देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। यह निर्णय भारतीय मजदूर संघ की दो दिवसीय बैठक में हैदराबाद में लिया गया।
यह बैठक भारतीय मजदूर संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के कुछ दिनों बाद हुई। चेन्नई में हुई संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सरकार द्वारा सरकारी उपक्रमों को बेचे जाने का चिंता प्रकट की गई थी। इसके बाद हैदराबाद में भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष एस जे पंड्या महासचिव विनय कुमार झा और संगठन मंत्री बी सुरेंद्रन ने सर्वसम्मति से तय किया कि संघ को सरकार के इस कदम का विरोध करना चाहिए। इसके पहले संघ से ही जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने इस तरह के डिसइनवेस्टमेंट कार्यक्रम का विरोध किया था।
भारतीय मजदूर संघ के इस आंदोलन के प्रारंभिक चरण में 15 मार्च से 14 अप्रैल तक उद्योगवार सेमिनार करके विरोध किया जाएगा। चौथे चरण में विरोध करने के लिए बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा कर राज्य स्तरीय सम्मेलन किए जाएंगे। छठवां और अंतिम चरण 23 नवंबर से चालू होगा जब भारतीय मजदूर संघ सभी सरकारी उपक्रमों के कॉर्पोरेट ऑफिस के सामने प्रदर्शन करेंगे।
सरकार जिस तरह से सार्वजनिक उपक्रमों में एक के बाद एक विनिवेश कर रही है उसपर बीएमएस ने गहरी नाराजगी जताई है। बीएमएस का कहना है कि भारत में सार्वजनिक उपक्रमों ने हमारी अर्थव्यवस्था में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। यहां तक कि आज भी ये उपक्रम अपनी भूमिका बेहतर ढंग से निभा रहे हैं। दुर्भाग्य से निजीकरण के समर्थकों ने सरकार के सभी उपक्रमों को अक्षम करार दे दिया है। यह लॉबी ऐसा दुष्प्रचार भी कर रही है कि समूचा सार्वजनिक उपक्रम क्षेत्र घाटे में चल रहा है जो कि सरासर गलत है। देश के सार्वजनिक उपक्रम अच्छा काम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बिक्री से वित्त वर्ष 2021-22 में 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। सरकार का अगले वित्त वर्ष में दो सरकारी बैंकों तथा एक बीमा कंपनी में अपनी हिस्सेदारी की बिक्री का इरादा है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसई) के विनिवेश से 2.10 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था। हालांकि, कोविड-19 महामारी की वजह से विनिवेश लक्ष्य में भारी कटौती कर इसे 32,000 करोड़ रुपये कर दिया है। सरकार अभी तक चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में अल्पांश हिस्सेदारी की बिक्री और शेयर पुनर्खरीद से 19,499 करोड़ रुपये जुटा पाई है।