अदालत के “विवेक” की इतनी फ़ज़ीहत पहले कभी न देखी न सुनी!
Sangam Dubey
The Supreme Court of India. (File Photo: IANS)
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) डेढ़ महीने से जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी और मसले के समाधान के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की है। अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई समिति पर लोगों द्वारा लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कल समिति बनाई और आज तक उस समिति की ट्रोलिंग हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट की समिति पर वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने ट्वीट किया है कि – सुप्रीम कोर्ट की “समिति”, दूसरे शब्दों में अदालत के “विवेक”, की इतनी फ़ज़ीहत पहले कभी न देखी न सुनी।
अब ट्विटर पर लोग अपनी समितियां बना कर ट्रोलिंग कर रहे हैं। किसी ने महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए कमेटी बनाई तो उसमें आसाराम को रखा तो किसी ने बैंक फ्रॉड को रोकने के लिए बनाई कमेटी में विजय माल्या को रखा।
ध्रुव राठी ने सबसे बेहतर प्रधानमंत्री कौन है? इसका निर्णय लेने वाली कमेटी के नाम सुझाए हैं।
कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई समिति में शामिल चारों लोगों पर पहले से ही कृषि कानूनों को समर्थन में हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई इस समिति में कृषि अर्थशास्त्री एवं कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले कृषि लागत और मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक गुलाटी, कृषि विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद कुमार जोशी के अलावा दो किसान नेता भी शामिल हैं। ये दोनों नेता उन किसान संगठनों के नहीं हैं, जो देश की राजधानी की सीमाओं पर किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। समिति में शामिल किसान नेताओं में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सदस्य भूपिंदर सिंह मान और महाराष्ट्र के किसान संगठन शेतकरी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवट शामिल हैं।