नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) कांग्रेस ने राष्ट्रीय मुद्दों पर आंदोलनों की रणनीति बनाने के लिए एक समिति का गठन किया है। राज्यसभा सांसद और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को इस समिति का चेयरमैन बनाया गया है। समिति में प्रियंका गांधी सहित नौ सदस्य शामिल किये गए हैं। राष्ट्रीय मुद्दों पर आंदोलनों के माध्यम से जनता तक पहुंचने के लिए बनी इस महत्वपूर्ण समिति का चेयरमैन बनाए जाने को दिग्विजय सिंह की कांग्रेस के राष्ट्रीय परिदृश्य में जबर्दस्त वापसी मानी जा रही है।
प्रियंका गांधी को साथ रखते हुए दिग्विजय सिंह को इस महत्वपूर्ण समिति का अध्यक्ष बनाया जाना सियासी गलियारों की सुर्ख़ियों में है। कहा जा रहा है कि दिग्विजय सिंह के अनुभव का लाभ और उनके संघ और बीजेपी विरोधी रवैये का लाभ कांग्रेस अब राष्ट्रीय स्तर पर उठाना चाह रही है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद दिग्विजय सिंह बहुत लंबे समय तक केंद्र की राजनीति में रहे और कई राज्यों के प्रभारी भी रहे। उनका अनुभव और संघर्ष करने की क्षमता से विरोधी भी वाकिफ हैं। दिग्विजय सिंह ने 2009 में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में 16 से ज्यादा सीटें जिताने में अहम भूमिका निभाई थी। दिग्विजय सिंह इसके बाद लगातार पार्टी के महासचिव रहते हुए कर्नाटक, गोवा और आंध्र प्रदेश के प्रभारी भी रहे हैं।
गोवा के बीते विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह को प्रभारी बनाया था। यहां 17 सीटें जीतकर कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई थी लेकिन 13 सीट जीतने वाली भाजपा ने जोड़-तोड़ कर सरकार बना ली थी। इसी तरह जब दिग्विजय सिंह महाराष्ट्र के प्रभारी के रूप में दो मुख्यमंत्री बना चुके हैं। राजस्थान में 2008 विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन थे और उस चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल कर राज्य में सरकार बनाई थी।
दिग्विजय सिंह का यही राष्ट्रव्यापी अनुभव कांग्रेस के लिए पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए अहम साबित हो सकता है। दिग्विजय का मुद्दों को लेकर नज़रिया कितना व्यापक है इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जिस पेगासस जासूसी को लेकर मानसून सत्र में कांग्रेस अधिकांश विपक्षी दलों की अगुआई करती दिखी उसे दिग्विजय सिंह दो साल पहले ही राज्यसभा में उठा चुके थे।
कांग्रेस हाईकमान ने दिग्विजय सिंह पर फिर से भरोसा जताकर यह भी संकेत दिया है कि जो लोग जो भाजपा और आरएसएस का निडरता से सामना करने का सामर्थ्य रखते हैं और भाजपा-आरएसएस के एजेंडे को तर्कों और तथ्यों के साथ उजागर करने की काबिलियत रखते हैं पार्टी उन्हें और अधिक अवसर भी दे सकती है।
दिग्विजय सिंह को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने को मध्यप्रदेश की सियासत से भी जोड़ा जा रहा है। यह कहा जा रहा है कि दिग्विजय सिंह को पार्टी दिल्ली की राजनीति में व्यस्त रखना चाहती है जिससे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की ईंट से ईंट बजा सकें।
जिस तरह दिग्विजय सिंह पर भरोसा जताया गया है उससे लगता है कि कांग्रेस पार्टी में मंथन का दौर भी शुरु हो गया है। जिस तरह से नए नेता पुत्रों ने पार्टी को धोखा दिया है उसे देखते हुए पार्टी पुराने नेताओं पर ही फिर से भरोसा करना चाहती है। उल्लेखनीय है कि दिग्विजय सिंह ने राहुल गांधी के साथ बहुत लंबे समय तक काम किया है अब राहुल गांधी के बाद प्रियंका गांधी के साथ दिग्विजय सिंह को बड़ी जिम्मेदारी मिलना अहम संकेत दे रहा है।