क्या बुआ वसुंधरा की राजनीति खत्म कर रहे भतीजे ज्योतिरादित्य ?
ज्योतिरादित्य की राजस्थान में एंट्री उनकी बुआ वसुुंधरा की सियारी पारी को खत्म कर सकती है।
Ashok Chaturvedi
भोपाल (जोशहोश डेस्क) पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों और मध्यप्रदेश की दमोह सीट पर प्रचार से दूर ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) अब राजस्थान में सक्रिय हैं। राजस्थान में तीन विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने दूरी बना रखी है। ऐसे में भाजपा ने वसुंधरा के प्रभाव वाले इलाकों में उनके भतीजे ज्योतिरादित्य को चुनाव मैदान में उतारा है।
वसुंधरा राजे सिंधिया पार्टी हाईकमान से लंबे समय से नाराज हैं। सतीश पूनिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद के बाद हाईकमान और वसुंधरा की दूरी और भी बढ़ गई है। दिल्ली में राज्य को लेकर हुई अहम बैठकों में वसुंधरा नजर नहीं आईं थीं और प्रदेश भाजपा अब पूरी तरह पूनिया और वसुंधरा के गुटों मे बंटी नजर आ रही है। वहीं पूनिया गुट को हाईकमान का साथ मिलता दिखाई दे रहा है।
तीन सीटों उपचुनाव के लिए जारी स्टार प्रचारकों की लिस्ट में भी वसुंधरा का नाम नहीं था। वहीं वसुंधरा के विरोधियों को स्टार प्रचारक लिस्ट में काफी महत्व दिया गया है। ऐसे में वसुंधरा ने उपचुनाव से दूर ही नजर आ रही हैं। हालांकि यह कहा जा रहा है कि वसुंधरा अपनी पुत्रवधु की तबीयत खराब होने के चलते उपचुनाव से दूर हैं।
जिन तीन सीटों सहाडा, सुजानगढ और राजसमंद पर उपचुनाव होना है वहां वसुंधरा राजे सिंधिया की मांग बनी हुई है। भाजपा ने यहां वसुंधरा की कमी पूरा करने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर दांव खेला है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार को सहाडा सीट के गंगापुर में एक चुनावी सभा को संबोधित भी किया। गंगापुर का सिंधिया राज परिवार से सीधा नाता भी है। इसलिए सिंधिया परिवार की यहां डिमांड रहती है।
गंगापुर की चुनावी रैली में सिंधिया ने जिस तरह अशोक गहलोत और कमलनाथ को एक ही सिक्के के दो पहलू बताते हुए गहलोत पर निशाना साधा उससे साफ है कि है कि भाजपा गहलोत और सचिन पायलट के बीच सिंधिया को बड़ा फैक्टर बनाने का इरादा रखती है। विधानसभा चुनाव तक कांग्रेस के बनते बिगड़ते सियासी समीकरणों के बीच सिंधिया फैक्टरअहम साबित भी हो सकता है।
वसुंधरा के समर्थक लंबे समय से यह प्रयास कर रहे हैं कि 2023 के लिए वसुंधरा को सीएम प्रोजेक्ट किया जाए लेकिन भाजपा हाईकमान इस मांग पर तवज्जो नहीं दे रहा। ऐसे में अब राजस्थान में ज्योतिरादित्य की एंट्री वसुंधरा के लिए और भी परेशानी खड़ी कर सकती है।
राजस्थान के सियासी गलियारों में यह चर्चा है कि उपचुनाव में तीन में दो सीटें जीत भाजपा जताना चाहती है कि राज्य में वसुंधरा के बिना भी चुनाव जीता जा सकता है। ऐसे में अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया उपचुनाव में वसुंधरा की कमी को पूरा करने में सफल होते हैं तो यह तय हो जाएगा कि भाजपा वसुंधरा को पूरी तरह साइडलाइन कर ही 2023 के विधानसभा चुनाव में उतरेगी। यानी राज्य की सियासत में वसुंधरा का वर्चस्व ख़त्म हो जायेगा।