आंगनवाड़ी में अंडे का विरोध और प्रदेश में 10 गुना बढ़ा मांस उत्पादन
शाकाहार को प्रोत्साहित करने का दावा करने वाली भाजपा सरकार के 17 साल के शासन में मांस उत्पादन 10 गुना तक बढ़ गया है।
Ashok Chaturvedi
भोपाल (जोशहोश डेस्क) शिवराज कैबिनेट ने आंगनवाड़ी केंद्रों में अंडा दिए जाने के निर्णय को बदल दिया। शिवराज सरकार अब आंगनवाड़ियों में सप्ताह में तीन दिन दूध वितरण करेगी। कैबिनेट के बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि अब तीन से छह वर्ष की आयु के बीच के बच्चों को आंगनवाड़ी में दूध दिया जाएगा।
वहीं शिवराज सरकार ने कांग्रेस सरकार के उस निर्णय को बदल दिया जिसमें आदिवासी बहुल विकासखंडों केआंगनवाड़ी केंद्रों में अंडे दिए जाने की बात कही गई थी। दूसरी ओर शाकाहार को प्रोत्साहित करने का दावा करने वाली भाजपा सरकार के 17 साल के शासन में मांस उत्पादन 10 गुना तक बढ़ गया है।
प्रदेश में लगातार बढ़ रहे मांस उत्पादन से शाकाहार को प्रोत्साहित करने के दावों पर सवाल उठ रहे हैं। साल 2003 से पहले कांग्रेस सरकार सत्ता में थी जब प्रदेश में मांस उत्पादन 9 हजार मीट्रिक टन था जो अब एक लाख मीट्रिक टन से ज्यादा हो चुका है।
प्रदेश में भाजपा सरकार के आने बाद साल दर साल मांस उत्पादन में करीब 10 से 12 फीसदी तक की बढोतरी हो रही है। साल 2019-20 की अवधि में मांस का उत्पादन एक लाख मीट्रिक टन को पार करते हुए एक लाख 6 हजार मीटिक टन तक पहुंच गया है।
पशुपालन विभाग के मुताबिक साल 2012-13 में मांस उत्पादन 40 हजार मीट्रिक टन था, जो साल 2013-14 में बढ़कर 48 हजार मीट्रिक टन हो गया। इसके बाद 2014-15 में यह आंकड़ा 59 हजार मीट्रिक टन तक जा पहुंचा।
2 साल में 20 हजार टन बढ़ा उत्पादन
मांस उत्पादन में जबर्दस्त उछाल साल 2015-17 में दिखाई दिया था। 2 साल में मांस उत्पादन करीब 20 हजार मीट्रिक टन का उछाल हुआ था। साल 2014-15 में जो आंकड़ा 59 हजार मीट्रिक टन था, वह 2016-17 में 79 हजार मीट्रिक टन तक पहुंच गया।
इधर सरकार का तर्क है कि प्रदेश में बकरे,बकरी और कुक्कुट की संख्या में वद्धि से मांस उत्पादन बढा है। यह तर्क इसलिए गले नहीं उतरता क्योंक स्लाटर हाउस में बकरे,बकरी और कुक्कुट के बजाए भैंस और गाय को काट कर मांस उत्पादन किया जाता है।
मांस उत्पादन में इजाफा कांग्रेस सरकार के दौरान भी हुआ था। दिसंबर 2018 में कमलनाथ सरकार सत्ता में आई थी अगर साल 2018-19 की बात की जाए तो इस साल भी मांस उत्पादन में इजाफा हुआ था लेकिन यह 9 प्रतिशत के आसपास ही था।
प्रदेश में मांस के उत्पादन का निर्यात कहां होता है। इसकी जानकारी भी पशुपालन विभाग के पास नहीं है। दावा यह किया जाता है कि प्रदेश में उत्पादित मांस का प्रदेश में उपयोग नहीं किया जाता । ऐसे में सवाल यह है कि इतनी बड़ी मात्रा में उत्पादन के बाद मांस की खपत कहां हो रही है?