पवन खेड़ा को मिली जमानत, अधिवेशन रद्द कराने के फेर में क्या पिटवा ली भद्द?
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, एक जगह की जाए पवन खेड़ा पर दर्ज़ सभी मुकदमों की सुनवाई
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) कांग्रेस मीडिया डिपार्टमेंट के चेयरमैन पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई। पवन खेड़ा को रायपुर अधिवेशन में जाने से पहले ही इंडिगो की फ्लाईट से उतार कर असम पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद पूरे मामले को लेकर अब सरकार और पुलिस की भद्द पिटती सी नजर आ रही है।
पवन खेड़ा को एयरपोर्ट से गिरफ्तार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया। पवन खेड़ा की ओर से मनु सिंघवी ने पैरवी की। उन्होंने सुनवाई के दौरान कोर्ट में खेड़ा की गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने की मांग की। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट से खेड़ा को अंतरिम जमानत मिल गई। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पवन खेड़ा पर दर्ज़ सभी मुकदमों की सुनवाई एक जगह की जाएगी।
घटनाक्रम की शुरुआत गुरुवार सुबह हुई जब पवन खेड़ा को पुलिस ने फ्लाइट से उतार दिया था। वे रायपुर में शुक्रवार से शुरू हो रहे कांग्रेस के अधिवेशन में हिस्सा लेने जा रहे थे। पुलिस की कार्रवाई के विरोध में फ्लाइट में मौजूद अन्य कांग्रेस नेताओं ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी प्रदर्शन और नारेबाजी कर एयरपोर्ट पर ही धरना शुरू कर दिया था।
पवन खेड़ा को जमानत मिलने के बाद यह कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार ने रायपुर में अधिवेशन को रद्द कराने के चक्कर में अपनी भद्द पिटवा ली-
इससे पहले कांग्रेस ने पवन खेड़ा को गिरफ्तार किये जाने को मोदी सरकार की तानाशाही बताया था। सोशल मीडिया में भी इस कार्रवाई की आलोचना की जा रही थी।
वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा था कि BJP सरकार ऐड़ी से चोटी और नागपुर से दिल्ली का भी जोर लगा ले, तब भी यह महाअधिवेशन सफल होकर रहेगा।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी ट्वीट करते हुए लिखा था कि पहले ईडी ने रायपुर में छापामारी की, अब पवन खेड़ा को दिल्ली पुलिस द्वारा रायपुर के जहाज़ से उतारा गया है। तानाशाही का दूसरा नाम अमित शाही है। मोदी सरकार हमारे राष्ट्रीय महाअधिवेशन को बाधित करना चाहती है। हम डरने वाले नहीं हैं, देशवासियों के लिए संघर्ष करते रहेंगे।