MPCA में सिंधिया के निजी सचिव की एंट्री, क्या हैं मायने ?

एमपीसीए में जो पांच नए सदस्य नियुक्त किए गए हैं उनमें भाजपा सांसद और एमपीसीए के पूर्व चेयरमैन ज्योतिरादित्य सिंधिया के निजी सचिव पुरुषोत्तम पाराशर का भी नाम है।

भोपाल ( जोशहोश डेस्क ) मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (MPCA) एक बार फिर सुर्खियों में हैं। एमपीसीए में जो पांच नए सदस्य नियुक्त किए गए हैं उनमें भाजपा सांसद और एमपीसीए के पूर्व चेयरमैन ज्योतिरादित्य सिंधिया के निजी सचिव पुरुषोत्तम पाराशर का भी नाम है। सिंधिया के सचिव की एमपीसीए में एंट्री के कई मायने निकाले जा रहे हैं।

एमपीसीए में पांच नए सदस्य शामिल किए गए हैं। इनमें पुरुषोत्तम पाराशर के अलावा मध्यप्रदेश रणजी टीम के कप्तान संजय पांडे, भवानी शंकर जोशी, सुजाता फडनवीस और राजेश शुक्ला का नाम है। पुरुषोत्तम पाराशर का नाम सामने आते ही एमपीसीए में हुई ये नियुक्तियां विवादों में आ गईं।

पुरुषोत्तम पाराशर मूलतः एक पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के कर्मचारी थे। जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के स्टाफ में तब आए जब वे केंद्र में मंत्री थे। दतिया के रहने वाले पुरुषोत्तम पाराशर का विवादों में नाम तब आया जब पूर्व मंत्री गोविंद सिंह ने एक ऑडियो जारी किया जिसमें एक विधायक उम्मीदवार पुरुषोत्तम पाराशर के पास पैसे रखने की बात कहते नज़र आ रहे थे। इस वीडियो पर बड़ा सियासी घमासान भी मचा था।

माना जाता है कि सिंधिया द्वारा दलबदल कराने के पीछे पुरुषोत्तम पाराशर का बहुत बड़ा योगदान है। सिंधिया समर्थक विधायक जब बेंगलुरु के रिसोर्ट में थे तब पराशर लगातार बंधक विधायकों के संपर्क में थे। ऐसा माना जाता है कि पुरुषोत्तम पाराशर बहुत ही महत्वाकांक्षी हैं और उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी हैं।

जिस तरह पाराशर को मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में सदस्य बनाया गया है उसे देखते हुए इंकार नहीं किया जा सकता कि भविष्य में पाराशर एमपीसीए के पदाधिकारी भी बनाये जाएं। अभी एमपीसीए के अध्यक्ष पत्रकार अभिलाष खांडेकर है जो सिंधिया के करीबी माने जाते हैं।

इधर इंदौर में रविवार हुई एमपीसीए की एजीएम में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हुए। एजीएम में योगेश गोलवलकर, मुर्तजा अली और प्रशांत द्विवेदी की तीन सदस्यीय क्रिकेट कमेटी को बर्खास्त कर दिया गया। साथ ही चंद्रकांत पंडित के 2022 तक मध्यप्रदेश के चीफ कोच बनाये रखने का भी फैसला हुआ।

सिंधिया रह चुके अध्यक्ष
सिंधिया स्वयं एमपीसीए के अध्यक्ष रह चुके हैं। साल 2012 में तो भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय और सिंधिया के बीच एमपीसीए अध्यक्ष पद का चुनाव पूरे देश में चर्चित रहा था। इस चुनाव में सिंधिया ने विजयवर्गीय को करारी शिकस्त दी थी। कहा जाता है कि इसके बाद कैलाश विजयवर्गीय कभी सिंधिया को लेकर सहज नहीं रहे।

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