भोपाल (जोशहोश डेस्क) चुनावी साल का एक महीना खत्म हो चुका है। दोनों ही दल साल के अंत में होने वाले चुनावों के लिए कमर कसते दिखाई दे रहे हैं। सियासी संग्राम की तैयारियों में सत्तापक्ष और विपक्ष एक दूसरे को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इस बार एक ओर जहाँ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ बेहद सधे क़दमों से सियासी समर की ओऱ बढ़ते दिख रहे हैं वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने ही बयानों और रणनीतियों में फंसते नजर आ रहे हैं।
18 साल के लंबे कार्यकाल से उपजी एंटी इनकम्बेंसी और पार्टी में लगातार फ़ैल रही गुटबाजी के चलते इस बार सीएम शिवराज का भरोसा डगमगाया दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि वे बार-बार ऐसा कुछ कर गुजर रहे हैं जो उनकी छवि, गरिमा और अब तक के कार्यकाल पर विपरीत असर करता दिखाई दे रहा है।
सियासी गलियारों में यह तक कहा जा रहा है कि इस कार्यकाल में मीडिया सलाहकारों का भ्रमजाल शिवराज पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। इस भ्रमजाल का ताजा उदाहरण मुख्यमंत्री शिवराज द्वारा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से सवालों का जवाब माँगा जाना है। केवल 15 महीने के मुख्यमंत्री से 18 साल का कार्यकाल पूर कर चुके मुख्यमंत्री का सवाल पूछा जाना एक सेल्फ गोल ही कहा जा रहा है।
सीएम शिवराज ने सवाल पूछे जाने का जैसे ही ऐलान किया उनकी किरकरी होना शुरू हो गई थी। कांग्रेस ने शिवराज की इस रणनीतिक चूक को जमकर प्रचारित और प्रसारित किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ तो शिवराज के सवालों के सिलसिले को लेकर बेहद हमलावर नजर आए। पहले दिन ही कमलनाथ ने तीखी प्रतिकिया तक दी।
कमलनाथ ने दो टूक लिखा कि लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाकर गद्दी पर बैठे शिवराज सिंह चौहान जब कागज की पर्चियां लेकर मुझसे सवाल करते हैं तो मध्य प्रदेश की जनता हंसती है कि देखो, 18 साल से कुर्सी पर बैठा मुख्यमंत्री जिम्मेदारी से भाग रहा है।
किरकिरी उस समय और भी ज्यादा हुई जब शिवराज अपने सवालों के सिलसिले को बरकरार भी नहीं रख पाए। महज दो दिन ही सवाल लगातार पूछने के बाद सीएम शिवराज तीसरे दिन ही कोई सवाल नहीं दाग पाए। सत्ता के सवालों का गुब्बारा दो दिन में ही फूटते ही कमलनाथ एक बार फिर हमलावर दिखे। कमलनाथ इस बार और तीखे अंदाज में शिवराज पर कटाक्ष करते नजर आए।
इस बार कमलनाथ ने लिखा-शिवराज जी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर आपने मुझसे हर रोज सवाल पूछने की घोषणा की थी। मैंने उसी दिन आपको समझाया था कि मुख्यमंत्री का काम सवाल पूछना नहीं, जनकल्याण के काम करना है। आज सूर्यास्त तक जब आपका कोई सवाल नहीं आया तो मैं समझ गया आखिरकार आज आपकी बुद्धि के कपाट खुल गए।
सवालों की राजनीति के चक्कर में सीएम शिवराज न सिर्फ खुद घिरते नजर आये बल्कि कांग्रेस को यह तक कहने का मौका मिल गया कि सवाल की आड़ में 18 सालों का जंगलराज नहीं छिपेगा। जनता जवाब माँग रही है, अब किसी ड्रामे से सिंहासन नहीं बचेगा। बाकायदा मध्य प्रदेश कांग्रेस ने एक वीडियो शेयर कर शिवराज को आड़े हाथों लिया –
इससे पहले सीएम शिवराज ने जनसभओं के मंच से ही अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित करने का अभियान सा छेड़ दिया था। इसके विरोध में भी न सिर्फ अधिकारियों और कर्मचारियों के मोर्चा संगठन लामबंद हो गए थे बल्कि कुछ अधिकारियों ने तो कोर्ट में निलंबन को चुनौती देकर शिवराज सरकार की किरकिरी करा दी थी। तब भी यह कहा गया था कि नौसिखिया मीडिया सलाहकारों ने शिवराज की छवि चमकाने के लिए प्रदेश भर के अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके खिलाफ कर दिया।
ऐसा ही सलाहों का असर उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के बाद शिवराज की कार्यशैली पर भी नजर आया था। अचानक से सीएम शिवराज को बुल्डोजर मामा की छवि देने का प्रयास किया। ऐसा किये जाने से शिवराज द्वारा तीन कार्यकाल में बनाई वह वह उदार छवि ही दांव पर लगा दी गई जिसे सीएम शिवराज की सबसे बड़ी यूएसपी माना जाता था। यहां तक कि शिवराज चुनावी मंचों से ऐसे शब्दावली तक का इस्तेमाल करते नजर आने लगे जो उनकी छवि से बिलकुल भी मेल नहीं खाती थी।
प्रदेश जैसे-जैसे चुनाव की ओर बढ़ रहा है वैसे-वैसे संयमित और तार्किक शिवराज एक के बाद एक ऐसी गलतियां करते नजर आ रहे हैं जो उन्हें बैकफुट पर ला रही हैं। फिलहाल तो सूबे के सियासी गलियारों में यह कहा जाने लगा है कि CM शिवराज को मिल रही सलाहें जनता और जनता के मुद्दों से न सिर्फ उन्हें दूर कर रही हैं बल्कि सत्ता और संगठन दोनों में ही उन्हें कमजोर कर रही हैं।