क्या राष्ट्रवाद के अगले एजेंडे की ज़मीन है अमृतकाल में अमृतपाल का उदय?
देश के साथ विदेशी धरती पर भी खालिस्तान समर्थकों ने उठाया सिर, केंद्र और पंजाब सरकार पर उठ रहे सवाल
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) देश में एक ओर आज़ादी का अमृत काल मनाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर पंजाब में 30 साल बाद अलगाववाद के स्वर फिर बुलंद हो रहे हैं। जिस तरह बीते दिनों में देश के साथ विदेशी धरती पर भी खालिस्तान समर्थकों ने सिर उठाया है उसे लेकर केंद्र की मोदी सरकार और पंजाब में आम आदमी की सरकार पर कई सवाल उठ रहे हैं।
मंगलवार को ही वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख और खालिस्तान समर्थकअमृतपाल सिंह को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। हाईकोर्ट ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए दो टूक कहा कि जब अमृतपाल सिंह को देश के लिए ख़तरा बताया गया है तो उसे अभी तक पकड़ा क्यों नहीं गया? साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अमृतपाल सिंह का भागना इंटेलिजेंस फेल्योर है।
दूसरी ओर सोशल मीडिया पर खालिस्तान के समर्थन में अचानक उठ रही आवाजों को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है। सोशल मीडिया पर यहाँ तक कहा जा रहा है कि आख़िरकार घर में सुलगती आग को दिखाई क्यों नहीं दे रही है
वहीं देश में चल पंजाब में अलगाववाद के बुलंद होते सुरों को देश में चल रहे तथाकथित राष्ट्रवाद के दौर से भी जोड़ा जा रहा है-
यह सवाल भी उठाया जा रहा है कि जब थाने पर दिन दहाड़े हमला किया था तब अमृतपाल को क्यों नहीं पकड़ा गया। साथ ही मोदी सरकार और पंजाब सरकार पर निशाना भी साधा जा रहा है-
गौरतलब है कि वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल की गिरफ्तारी के लिए पंजाब में चल रहे ऑपरेशन से नाराज उसके कुछ समर्थकों ने मोहाली में 18 मार्च की शाम से एयरपोर्ट रोड ब्लॉक कर रखी थी। मंगलवार को भगोड़े अमृतपाल के समर्थन में सोशल मीडिया पर #WeStandWithAmritpalSingh हैशटैग भी ट्रेंड कराया गया। इस हैशटैग पर कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से सबसे ज्यादा ट्वीट हो रहे हैं। पंजाब के अजनाला थाने पर कट्टरपंथियों के कब्जे के बाद सुर्ख़ियों में आया अमृतपाल सिंह दुबई से अचानक भारत लौट कर पंजाब में खालिस्तान की मांग को बुलंद कर रहा है।
विदेशों में भी खालिस्थान के समर्थन के सुर उठने लगे हैं। रविवार को कुछ खालिस्तान समर्थकों ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग से भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को उतारने की कोशिश की और खालिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन शहर में भारतीय दूतावास को खालिस्तानी समर्थकों के डर से बंद करना पड़ा था। पंजाब के अजनाला थाने पर कट्टरपंथियों के कब्जे के बाद सुर्ख़ियों में आया अमृतपाल सिंह दुबई से अचानक भारत लौट कर पंजाब में खालिस्तान की मांग को बुलंद कर रहा है।