अहमदाबाद/ भोपाल (जोशहोश डेस्क) ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का दो दिवसीय भारत दौरा पूरा हो चुका है। ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन भले ही स्वदेश वापस जा चुके हों लेकिन वे एक सवाल जरूर भारत में ही छोड़ गए। सवाल यह कि गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले विदेशी राष्ट्राध्यक्षों का दौरा महज एक संयोग है या प्रयोग?
बोरिस जॉनसन देश की राजधानी दिल्ली से पहले गुजरात पहुंचे और पूरा एक दिन गुजरात में रहे। इस दौरान बोरिस जॉनसन गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के साथ पंचमहल में जेसीबी फैक्ट्री भी पहुंचे और जेसीबी पर चढ़कर बोरिस जॉनसन ने तस्वीर भी खिंचाई। बुलडोजर और जेसीबी इन दिनों देश की राजनीति के केंद्र में हैं ऐसे में बोरिस जॉनसन की ये तस्वीर को चर्चित होना ही था और इसे बोरिस जॉनसन का भाजपा के लिए चुनावी पोज़ तक कहा जा रहा है।
यह पहली बार नहीं जब चुनाव से पहले किसी ताकतवर देश का राष्ट्राध्यक्ष गुजरात पहुंचा हो। बीते विधानसभा चुनाव से पहले जापान के प्रधानमंतरी शिंजो आबे भी गुजरात पहुंचे थे और बुलेट ट्रैन समेत कई परियोजनाओं से उनके इस दौरे को जमकर भुनाया भी गया था। कहा यह भी जा रहा है कि राज्य में चुनाव से पहले कुछ अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी गुजरात में नज़र आ सकते हैं खासकर वे देश जहां गुजराती लोगों की संख्या काफी अधिक है और वह संख्या उस देश में चुनाव की दृष्टि से अहम हो।
पत्रकार और लेखक सुसंस्कृति परिहार ने अपनी फेसबुक वॉल पर गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के दौरे को रेखांकित किया है। उन्होंने लिखा है-
गुजरात राज्य विधानसभा का चुनाव इस साल के अंत में यानी छह महीने बाद फिर होना है, लेकिन भाजपा की ओर से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने न सिर्फ अपने आपको चुनाव प्रचार में झोंक दिया है बल्कि उन्होंने वैश्विक नेताओं यानी विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को भी परोक्ष रूप से भाजपा के चुनाव प्रचार में उतार दिया है। इस बार फिर विदेश में रह रहे गुजराती प्रवासियों के ज़रिए गुजरात की वोट प्राप्त करने के साथ विदेशी राष्ट्र अध्यक्षों की उपस्थिति के ज़रिए अपना जलवा बनाए रखने का उपक्रम जोरदार तरीके से चल रहा है। आग दोनों तरफ मौजूद है ब्रिटेन में बोरिस जानसन को भारतीय प्रवासियों के वोट की दरकार है और गुजरात में भी भाजपा की पकड़ कमज़ोर हो रही है।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल ने भी बोरिस जॉनसन के गुजरात दौरे को विधानसभा चुनाव से जोड़ा है। उन्होंने लिखा है-
हकीकत ये है कि विदेशी अतिथियों को गुजरात ले जाना प्रधानमंत्री जी की मजबूरी है। उनके पास दिखने कि लिए गुजरात मॉडल कि अलावा और कोई दूसरा मॉडल है ही नहीं। जानकार कहते हैं कि बोरिस जॉनसन को गुजरात ले जाने कि पीछे प्रधानमंत्री जी का मकसद गुजरातियों को प्रभावित करना है क्योंकि गुजरात में विधानसभा कि चुनाव होने वाले हैं और दुर्भाग्य से राज्य में सत्ता प्रतिष्ठान विरोधी लहर चल रही है। हालाँकि गुजरात में 27 साल से भाजपा का अखंड शासन है फिर भी भाजपा को गुजरात में 7 साल में तीन बार मुख्यमंत्री बदलना पड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री को दिल्ली की बजाय पहले गुजरात बुलाकर बड़ा दांव चला है जिससे दोनों को ही बड़ा फायदा होने की उम्मीद है क्योंकि बोरिस जॉनसन भी इन दिनों अपनी कुर्सी बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मोदी जी प्रयोगधर्मी हैं प्रयोग कर रहे हैं। मुमकिन है उनका प्रयोग उनके लिए गुजरात विधानसभा चुनावों में कोई लाभ दिला दे। बोरिस को भी विश्वगुरु की संगत का कुछ लाभ मिल जाये तो फिर क्या कहने हैं।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद बोरिस जॉनसन की यह पहली भारत यात्रा है। बीते साल गणतंत्र दिवस के मौके पर भी वे विशिष्ठ अतिथि के रूप में भारत आने वाले थे लेकिन कोरोना के कारण उनकी यात्रा रद हो गई थी। बोरिस जॉनसन गुजरात में अपने स्वागत से अभिभूत नज़र आये थे। बोरिस जॉनसन ने दौरे को शानदार बताए हुए कहा था कि यूके में गुजराती कम्युनिटी की बड़ी जनसंख्या है जो कि भारत और यूके के रिश्ते का अहम हिस्सा है। ब्रिटिश पीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खास दोस्त बताते हुए दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत होने की बात भी कही है।