रिपब्लिक ऑफ ‘भारत’, मोदी सरकार की नफ़रत या तानाशाह की सनक?
जी-20 समिट के लिए भेजे गए राष्ट्रपति के निमंत्रण पत्र पर 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह लिखा 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत'
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) विपक्षी दलों द्वारा बनाये गठबंधन (I.N.D.I.A.) के बाद इंडिया शब्द को लेकर तर्क वितर्क के बीच अब एक नया विवाद सामने आया है। दरअसल जी-20 समिट के दौरान डिनर के लिए भेजे गए राष्ट्रपति के उस निमंत्रण पत्र पर विवाद छिड़ गया है जिसमें ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा है। इसे लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर सवाल उठाये हैं।
वहीं कांग्रेस ने इसे मोदी सरकार पर विपक्षी गठबंधन का खौफ बताया। कांग्रेस ने कटाक्ष करते हुए लिखा कि INDIA से इतना डर? यह विपक्ष के लिए मोदी सरकार की नफरत है या एक डरे और सहमे हुए तानाशाह की सनक?
G-20 सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति द्वारा मेहमानों को भेजे गए आमंत्रण पत्र में रिपब्लिक ऑफ 'इंडिया' की जगह रिपब्लिक ऑफ 'भारत' शब्द का इस्तेमाल किया गया है।
INDIA से इतना डर?
यह विपक्ष के लिए मोदी सरकार की नफरत है या एक डरे और सहमे हुए तानाशाह की सनक?
जी-20 समिट के निमंत्रण पत्र पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लिखा, “तो ये खबर वास्तव में सच है. राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को होने वाले जी-20 डिनर के लिए जो न्योता भेजा है, उसमें प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा है। संविधान के आर्टिकल 1 में लिखा है कि भारत जो कि इंडिया है एक राज्यों का समूह होगा। अब तो राज्यों के समूह पर भी हमला हो रहा है।
So the news is indeed true.
Rashtrapati Bhawan has sent out an invite for a G20 dinner on Sept 9th in the name of 'President of Bharat' instead of the usual 'President of India'.
Now, Article 1 in the Constitution can read: “Bharat, that was India, shall be a Union of States.”…
जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार इतिहास को विकृत और भारत को विभाजित कर रहे हैं, जो भारत है, जो राज्यों का संघ है। लेकिन हम इससे विचलित नहीं होंगे। आख़िर India पार्टियों का उद्देश्य क्या है? भारत जहाँ सद्भाव, मैत्री, मेल-मिलाप और विश्वास है। जुड़ेगा भारत जीतेगा इंडिया!
वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ विपक्षी दलों द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ बनाये गठबंधन का नाम I.N.D.I.A रखे जाने के बाद इस नाम को लेकर बीजेपी विपक्षी दलों पर हमलावर है। कहा जा रहा है कि आजादी के अमृतकाल में गुलामी की मानिसकता और गुलामी से जुड़े हर प्रतीक से देश और देशवासियों को मुक्ति दिलाने के मिशन में जुटी मोदी सरकार आने वाले दिनों में भारत के संविधान से ‘इंडिया’ शब्द को भी हटाने की तैयारी में जुट गई है।
बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार आगामी 18 से 22 सितंबर के दौरान आयोजित किए जाने वाले संसद के विशेष सत्र में इस प्रस्ताव से जुड़े बिल को पेश कर सकती है। संसद के मॉनसून सत्र के दौरान ही बीजेपी के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने भी विशेष उल्लेख के जरिए इंडिया नाम को औपनिवेशिक दासता का प्रतीक बताते हुए इंडिया दैट इज भारत हटाकर केवल भारत शब्द का उपयोग करने की मांग की थी। बीजेपी के कई बड़े नेताओं का यह मानना है कि आजादी के अमृत काल का यह सही समय है जब इंडिया के नाम से मुक्ति पाकर देश को उसका प्राचीन नाम ‘भारत’ दिया जा सकता है।
गौरतलब है कि हाल ही में राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम के दौरान लोगों से इंडिया की जगह भारत नाम इस्तेमाल करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि इस देश का नाम सदियों से भारत है, इंडिया नहीं। इसलिए हमें इसका पुराना नाम ही इस्तेमाल करना चाहिए। हमें अपने देश को भारत कहना होगा और दूसरों को भी यही समझाना होगा।