राहुल गांधी की सांसदी बहाल, SC के फैसले के बाद ख़त्म हुआ इंतज़ार

लोकसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी कर राहुल गांधी की सांसदी को किया बहाल

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता आखिरकार बहाल हो गई है। लोकसभा सचिवालय ने सोमवार को अधिसूचना जारी कर राहुल गांधी की सांसदी बहाल कर दी। मोदी सरनेम केस में 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही कांग्रेस राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करने की मांग कर रही थी।

बताया जा रहा है कि सदस्यता बहाल होने के 136 दिन बाद राहुल गांधी सोमवार को संसद जाएंगे। राहुल गांधी की सदस्यता बहाल होने का कांग्रेस ने स्वागत किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी प्रतिक्रिया में इसे देश के लिए बड़ी राहत बताया है। साथ ही कहा कि भाजपा और मोदी सरकार को अपने कार्यकाल का जो भी समय बचा है, उसका उपयोग विपक्षी नेताओं को निशाना बनाकर लोकतंत्र को बदनाम करने के बजाय वास्तविक शासन पर ध्यान केंद्रित करके करना चाहिए।

मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी राहुल गांधी की लोक सभा सदस्यता बहाल करने के फ़ैसले का स्वागत किया है। उन्होंने लिखा-अब संसद में हमें फिर वह सिंह गर्जना सुनने को मिलेगी जो जनता को अभय और लोकतंत्र विरोधियों को भय देती है। राहुल जी का एक ही मंत्र हम सबको याद रखना है- डरो मत।

इससे पहले कांग्रेस सवाल उठा रही थी कि जिस रफ्तार से राहुल गांधी की सदस्यता रद्द की गई थी, उसी रफ्तार से उनकी बहाली पर काम क्यों नहीं हो रहा है? कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने शनिवार को राहुल गांधी के केस पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश लोकसभा सचिवालय को सौंपा था और राहुल गांधी की सदस्यता की बहाली की मांग वाला एक पत्र भी दिया था।

गौरतलब है कि मोदी सरनेम केस में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की सजा पर न सिर्फ रोक लगा दी है बल्कि यह सवाल भी किया कि इस मामले में अधिकतम सजा क्यों दी गई? सुप्रीम कोर्ट में करीब 3 घंटे बहस चली। इसके बाद केस की सुनवाई कर रही जस्टिस बीआर गवई, पीएस नरसिम्हा और संजय कुमार की बेंच ने पूछा था कि इस मामले में अधिकतम सजा क्यों? कहा- उन्हें कम सजा भी दी जा सकती थी। वे डिसक्वालिफाई नहीं होते। सजा 1 साल 11 महीने हो सकती थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्रायल जज ने मामले में अधिकतम सजा सुनाई है, लेकिन इसकी वजह नहीं बताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी का बयान आपत्तिजनक है, लेकिन निचली अदालत ने कारण नहीं बताया और न ही गुजरात हाई कोर्ट ने इस पर विचार किया।

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