धर्म के बाद क्या ‘कास्ट पाॅलिटिक्स’ की तैयारी कर रही BJP?
मंगलवार को भाजपा ने कार्यसमिति की लिस्ट में पहली बार नेताओं की जाति का उल्लेख किया।
Ashok Chaturvedi
भोपाल (जोशहोश डेस्क) भारतीय जनता पार्टी पर धर्म की राजनीति का आरोप नया नहीं लेकिन क्या भाजपा अब जाति की राजनीति करने की तैयारी में भी है? यह सवाल इसलिए क्योंकि मंगलवार को भाजपा ने कार्यसमिति की लिस्ट में पहली बार नेताओं की जाति का उल्लेख किया लेकिन अपने ही शीर्ष नेताओं की जाति गलत लिखे जाने पर हुई किरकिरी के बाद भाजपा को यह लिस्ट तत्काल वापस लेनी पड़ी।
इसके बाद भाजपा कार्यसमिति की जो लिस्ट जारी हुई उसमें जाति का काॅलम हटा दिया गया। सवाल यह है कि पहली लिस्ट जिसमें बकायदा नेताओं की जाति का साफ उल्लेख किया गया था वह गलती से जारी हुई या यह लिस्ट भाजपा का सोचा समझा एक कदम था?
इस लिस्ट के सामने आते ही सियासी गलियारों में यह कहा जाने लगा कि अपने नेताओं की जातियों का उल्लेख कर भाजपा ने कास्ट पाॅलिटिक्स की अपनी मंशा जाहिर कर दी है। साथ ही भाजपा ने यह संदेश देने का भी प्रयास किया कि वह समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने में भरोसा रखती है लेकिन जातियों में गलती के कारण भाजपा की यह योजना परवान नहीं चढ़ पाई और उसे जाति का काॅलम हटाकर नई लिस्ट जारी करनी पड़ी।
इस मामले में कांग्रेस ने तो बकायदा भाजपा को ‘भारतीय जाति पार्टी’ तक करार दिया। साथ ही यह सवाल भी उठाया कि क्या भाजपा को अपने नेताओं की जानकारी भी नहीं है? कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने एक के बाद एक ट्वीट कर भाजपा पर लोगों को जातियों में बांटने का आरोप लगाया और भाजपा की अंर्तकलह पर कटाक्ष किए।
भाजपा की पहली लिस्ट में पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को ब्राहम्ण, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को धाकड़ वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया की जाति राजपूत बताई गई थी। सूची भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने जारी की थी।
उमा भारती का नाम गायब
162 कार्यसमिति सदस्य , 218 विशेष आमंत्रित सदस्य , 23 स्थायी आमंत्रित सदस्यों की सूची में भी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का नाम शामिल नहीं है। जबकि दिग्जिवय सिंह की दस साल पुरानी सरकार को सत्ता से हटाने में उमा भारती का योगदान सबसे अहम था।
चंबल क्षेत्र को वरीयता, सिंधिया का दबदबा
इसके साथ ही लिस्ट में सबसे अधिक वरीयता चंबल क्षेत्र को मिली है। इसका कारण यहां भाजपा के दिग्गज नेताओं की मौजूदगी के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी में बढ़ते दबदबे को भी माना जा रहा है। सिंधिया समर्थक हारे मंत्रियों में इमरती देवी और एंदल सिंह कंसाना को कार्यसमिति सदस्य बनाया गया है। वहीं गिर्राज दंडोदिया को विषेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है।