मंत्री गोविंद राजपूत को बचाने प्रशासन ने चुनावी रेट लिस्ट में रातों-रात की कटौती?

मंत्री गोविंद राजपूत के चुनावी ख़र्चे को कम करने सागर जिला प्रशासन ने पूर्व में जारी वाहनों के किराए और चुनावी सामानों की रेट लिस्ट को किया संशोधित

सागर (जोशहोश डेस्क) शिवराज सरकार के मंत्री और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के ख़ास समर्थक गोविंद सिंह राजपूत के लिए चुनावी राह लगातार मुश्किल होती जा रही है। बूथ जीतने के लिए कैश देने का ऑफर देते वीडियो वायरल होने के बाद परिवहन मंत्री और सुरखी विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी गोविंद राजपूत पर पहले ही केस दर्ज़ हो चुका है और अब उनका नाम एक नए विवाद से जुड़ गया है।

दरअसल मंत्री गोविंद राजपूत के चुनावी ख़र्चे को कम करने के प्रयास में सागर जिला प्रशासन द्वारा पूर्व में जारी वाहनों के किराए और चुनावी सामानों की रेट लिस्ट को संशोधित कर दिया है। ऐसा कर जिला प्रशासन ने न केवल नई रेट लिस्ट जारी की बल्कि मध्य प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा तय रेट को भी कम कर दिया। इस तरह एक महीने बाद रेट कम करके जिला प्रशासन ने यह माना कि महँगाई चुनावी सीज़न में लगभग 30-40% कम हो गई है। भले ही आम आदमी लगातार बढ़ रही महंगाई से त्रस्त है।

बताया जा रहा है कि चुनाव प्रचार के शुरूआती पाँच दिन में ही गोविंद राजपूत ने निर्धारित 40 लाख के ख़र्चे में से 19 लाख रुपया वाहनों पर ही ख़र्च कर दिया था। इस के बाद यहां राजनाथ सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, भूपेन्द्र यादव, अश्विनी वैष्णव, प्रह्लाद पटेल आदि 6 केंद्रीय मंत्रियों की सभाएं हो चुकी हैं। ऐसे में मंत्री राजपूत के चुनाव ख़र्चे को कम करने के लिए जिला प्रशासन ने चुनाव प्रचार सामग्री की 20 सितंबर को तय की गई दरों को संशोधित करते हुए कम कर दिया। इसका बक़ायदा 9 नवंबर को बीच चुनाव में आदेश भी निकाला गया।

सागर प्रशासन ने 9 नवंबर को जारी किए गए नए आदेश में स्कॉर्पियो कार की प्रतिदिन कि किराया की दर 12 सौ रुपये निर्धारित कर दी गई जबकि इसके पहले सामान्य प्रशासन विभाग मध्यप्रदेश शासन के अनुसार इसकी 2500 रुपये प्रतिदिन की दर थी। इस विस्मयकारी आदेश में गाड़ियों का किराया बढ़ने के बजाए घटा दिया गया। इसके अलावा प्रचार की अन्य जिंसों की भी क़ीमतें कम कर दी गई। इस तरह से सागर ज़िले ने पूरे देश में अपने तरह का इतिहास बना दिया जहाँ पर पिछले एक महीने में महँगाई कम हो गई। मामले के दस्तावेज़ भी सोशल मीडिया पर वायरल हैं।

सूत्रों का यह भी कहना है कि सागर ज़िले में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा पदस्थ व्यय प्रेक्षक द्वारा यह नयी रेट लिस्ट मानने से इनकार कर दिया गया है। निर्वाचन आयोग द्वारा पदस्थ व्यय प्रेक्षक भारत सरकार के अधिकारी होते हैं। साथ ही नये आदेश की शिक़ायत भारत निर्वाचन आयोग को की गई है।

इससे पहले चुनाव आयोग के निर्देश पर सागर जिले के राहतगढ़ थाने में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। यह एफआईआर चुनावी प्रचार से जुड़ा एक वीडियो वायरल होने के बाद आचार संहिता उल्लंघन मामले में की गई है। वायरल वीडियो में मंत्री गोविंद राजपूत अपने क्षेत्र में समर्थको के बीच बैठे चुनाव पर चर्चा करते नज़र आ रहे थे। ये बैठक सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक से लाइव भी की जा रही थी, जिसमें मंत्री राजपूत यह कहते हुए नज़र आते हैं कि जिस पोलिंग बूथ से सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे उसे 25 लाख रुपए देंगे। इसके बाद उनके खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन की शिकायत चुनाव आयोग को की गई थी।

सुरखी विधानसभा में मंत्री गोविंद राजपूत कितनी कांटे के लड़ाई में फंसे हैं इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस सीट पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया दो बार जा चुके हैं। इसके अलावा देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रहलाद पटेल, भूपेंद्र यादव और मध्य प्रदेश सरकार के अनेक मंत्री तथा खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह यहाँ सभाएँ कर चुके हैं।

गौरतलब है कि कांग्रेस ने इस सीट पर नीरज शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। पंडित नीरज शर्मा की पहचान इलाके में एक दबंग और गोविंद राजपूत के धुर विरोधी नेता के तौर पर होती है। पिछले 15 सालों से शर्मा का जनपद और राहतगढ़ नगर परिषद पर कब्जा है। साल 2010 में जनपद अध्यक्ष का चुनाव नीरज शर्मा ने गोविंद राजपूत के भाई को हराकर जीता था तब से पंडित शर्मा की राजनीतिक लड़ाई राजपूत परिवार से चल रही थी। नीरज शर्मा इस बार मंत्री गोविन्द राजपूत को कड़ी चुनौती देते नज़र आ रहे हैं।

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