MP चुनाव: सिंधिया के गढ़ में भगदड़, पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह का BJP से इस्तीफा
दो दिन पहले ही पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के पुत्र राकेश सिंह बसपा में हुए थे शामिल
Ashok Chaturvedi
भोपाल (जोशहोश डेस्क) विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी से उसके नेताओं का ही मोहभंग होने का सिलसिला जारी है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चम्बल में तो पार्टी को बेहद ही मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। एक-एक कर नेता पार्टी छोड़ते नज़र आ रहे हैं। इस कड़ी में अब रिटायर्ड आईपीएस और पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह का नाम भी जुड़ गया है।
पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह ने सोमवार को भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफ़ा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को भेज दिया है। दो दिन पहले ही पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के पुत्र राकेश सिंह बसपा में शामिल हुए थे। बसपा ने उन्हें मुरैना विधानसभा से चुनावी मैदान में उतारा है।
रुस्तम सिंह विधानसभा चुनाव में अपनी उपेक्षा से नाराज बताये जा रहे हैं। वे अपने बेटे राकेश सिंह के लिए मुरैना से टिकट मांग रहे थे लेकिन पार्टी ने यहां से रघुराज कंषाना को मौका दिया है। कंषाना 2018 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे। इसके बाद वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ BJP में शामिल हो गए थे। उपचुनाव में कांग्रेस के राकेश मावई ने रघुराज कंषाना को हरा दिया था।
अब भाजपा ने फिर मुरैना सीट से रघुराज कंषाना को अपना उमीदवार बनाया है। इससे रुस्तम सिंह और उनके बेटे राकेश सिंह नाराज हैं। राकेश ने दो दिन पहले बसपा में शामिल होकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। साथ ही सीएम शिवराज के साथ भाजपा संगठन पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं। राकेश का कहना है कि विधानसभा चुनाव सर्वे में पहले नंबर पर आने के बाद भी मेरे पिताजी का टिकट काट दिया। मेरे पिताजी को मुरैना की जनता ने भरपूर आशीर्वाद दिया है। इसी भरोसे व आशीर्वाद के दम पर मैं बसपा से चुनाव लड़ूंगा।
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के प्रभावशाली गुर्जर नेता रुस्तम सिंह ने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की नौकरी से साल 2003 में इस्तीफा दे दिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे। रुस्तम सिंह ने पहली बार 2003 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। इसके बाद वह साल 2013 में दोबारा विधायक चुने गए थे।