क्या समर्पण निधि के लिए ‘उगाही’ की जानकारी भी लेंगे BJP अध्यक्ष?
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पहुंचे इंदौर, प्रदेश पदाधिकारियों के साथ करेंगे बैठक।
Ashok Chaturvedi
इंदौर एयरपोर्ट पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का स्वागत करते सीएम शिवराज।
इंदौर(जोशहोश डेस्क) भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एक दिवसीय दौरे पर मंगलवार को इंदौर पहुंच चुके हैं। भाजपा अध्यक्ष इंदौर में पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों के साथ बूथ विस्तारक अभियान, कुशाभाऊ ठाकरे जन्मशती वर्ष और समर्पण निधि के टारगेट को लेकर भी चर्चा करेंगे। समर्पण निधि की आड़ में प्रदेश भाजपा पर वसूली के आरोप भी लग रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या भाजपा अध्यक्ष की बैठक में भी वसूली के इस मुद्दे पर चर्चा होगी या नहीं?
भाजपा ने इस बार आजीवन सहयोग निधि का टारगेट करीब डेढ़ सौ करोड़ रखा है। बीते पांच वर्षाें में ही करीब दस से 12 गुना हो चुके इस टारगेट को हासिल करने पूरी भाजपा जुटी हुई है। टारगेट हासिल करने व्यापारियों अधिकारियों कर्मचारियों और ठेकेदारों से उगाही के आरोप भी भाजपा पर लग रहे हैं। इसके बाद भी यह टारगेट हासिल करने में भाजपा कार्यकर्ताओं को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है।
भाजपा अपने के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे का जन्मशती वर्ष भी मना रही है। इसलिए भाजपा ने इस बार सहयोग निधि को समर्पण निधि का नाम भी दिया। है। इसके लिए जिला और मंडल स्तर पर एक टारगेट भी रखा गया है। इस टारगेट के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं पर जबर्दस्ती रसीट काटे जाने के भी आरोप लग रहे हैं। यहां तक कि रसीद न कटवाने पर ठेकेदारों और व्यापारियों को नगर निगम और नगर पालिका से नोटिस तक दिलवाने के मामले भी सामने आ रहे हैं।
एक्सप्रेस न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बार चंदे की मार कर्मचारी, व्यापारी, किसान, अधिकारी, सरकारी, कर्मचारी, ठेकेदार, डाॅक्टर्स आदि पर भी पड़ रही है। यहां तक कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के जिन छोटे कर्मचारियों ने प्रदेश के आंचलिक क्षेत्रों में छोटे नेताओं के चक्कर काटकर अपने तबादले कराए थे अब उन नेताओं के चहेते विधायक व मंत्री खुलकर उन लोगों की रसीद काटने के लिए कह रहे हैं।
भाजपा में ही विरोध
रिपोर्ट के मुताबिक चंदे के इस धंधे के इतने बडे टारगेट का भाजपा के छोटे कार्यकर्ता और पदाधिकारियों द्वारा ही विरोध किया जा रहा है। यहां तक कि मंडल और मोर्चा स्तर के जिन पदाधिकारियों को 500 से एक हजार तक की सहयोग निधि देनी होती थी, उन्हें भी पांच से दस हजार रुपए की रसीद कटाने का फरमान सुना दिया गया है। रसीद न कटवाने पर इन पदाधिकारियों को कोपभाजन का शिकार होना पड़ रहा है।
अब देखना यह है कि क्या भाजपा अध्यक्ष के सामने भी समर्पण निधि को लेकर चल रही इस भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी और उगाही के आरोपों की रिपोर्ट पहुंच पाती है या नहीं? प्रदेश भाजपा के पदाधिकारी भी समर्पण निधि के टारगेट को लेकर मैदानी मुश्किलों का जिक्र अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष से करते हैं या नहीं?
गौरतलब है कि संगठन ने पहले एक फरवरी तक 100 करोड़ रुपए जुटाकर पार्टी फंड में जमा करने को कहा था लेकिन उसके बाद टारगेट 150 करोड़ कर दिया गया है। इसके लिए 15 मार्च तक का समय दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक इस बार किसी भी जिले का टारगेट दो करोड़ से कम का नहीं है। कुल मिलाकर बीते दो सालों से कोरोना की मार के बाद यह टारगेट हासिल करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। इसके लिए वसूली के आरोपों को खारिज नहीं किया जा सकता।