नर्मदा पर फिर सक्रिय दिग्विजय, आस्था-अस्तित्व पर मंथन कल
नर्मदा संरक्षण को लेकर तमाम सवालों पर पर्यावरणविदों और पर्यावरणप्रेमियों के साथ परिचर्चा का आयोजन।
Ashok Chaturvedi
वर्ष 2018 में नर्मदा परिक्रमा के समापन पर कमलनाथ के साथ दिग्विजय सिंह (फाइल फोटो)
भोपाल (जोशहोश डेस्क) पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह नर्मदा नदी के संरक्षण को लेकर फिर सक्रिय हो गए हैं। दिग्विजय सिंह कल (6 मार्च) पर्यावरणविदों के साथ नर्मदा नदी की आस्था और अस्तित्व पर मंथन करेंगे। यह परिचर्चा राजधानी भोपाल में आयोजित की जा रही है।
साल 2017 में करीब 3300 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा कर चुके राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के मुताबिक अवैध उत्खनन से देवी के रूप में पूजी जाने वाली जीवनदायिनी नर्मदा की अविरल धारा अब क्षीण हो चुकी है। वनों और पहाड़ों की अंधाधुंध कटाई से नर्मदा के अस्तित्व पर संकट आ गया है। ऐसे में नर्मदा के संरक्षण को लेकर उठ रहे तमाम सवालों पर परिचर्चा में मंथन किया जाएगा।
दिग्विजय सिंह ने परिचर्चा के लिए पर्यावरणप्रेमियों और नर्मदा को लेकर जागरुक लोगों को खुला आमंत्रण दिया है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि नर्मदा की वर्तमान हालात को देखते और इसे बचाने के लिए जो भी लोग सुझाव दे सकते हों वे सभी इस परिचर्चा में आमंत्रित हैं। मंथन से निकले निष्कर्ष को प्रसारित और प्रचारित किया जाएगा।
इस परिचर्चा में नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर, पर्यावरणविद राजेंद्र चंद्रकांत राय, गुजरात के भरूच में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार सिन्हा, गुजरात के मछुआरा समाज के कमलेश मणीवाला और साहित्यकार पंकज सुबीर भी शिरकत कर अपने विचार रखेंगे।
गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह ने 30 सितंबर 2017 को नर्मदा पूजन के बाद नर्मदा परिक्रमा पदयात्रा शुरू की थी। यह परिक्रमा करीब 3300 किलोमीटर की थी जिसे दिग्विजय सिंह ने 192 दिनों में पूरा किया था। दिग्विजय के निजी सचिव रहे ओपी शर्मा ने उनकी इस परिक्रमा पदयात्रा के दृष्टांतों पर पर एक किताब भी लिखी थी। ‘नर्मदा के पथिक’ नाम की इस पुस्तक का विमोचन भी स्वयं दिग्विजय सिंह ने ही किया था। कहा जाता है कि दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा का साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में सकारात्मक प्रभाव पड़ा था।