एक रुपए में चार किलो गोभी बेचने को मज़बूर अन्नदाता, खाद संकट से दोहरी मार
बैतूल जिले के मुलताई में बंपर पैदावार के चलते किसानों को महज 25 पैसे प्रति किलो के हिसाब से गोभी बेचना पड़ रही है।
Ashok Chaturvedi
बैतूल/ भोपाल (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश में कुछ दिनों पहले अन्नदाता लहसुन को नदी-नालों में बहाते देखे गए थे। अब किसानों को गोभी की फसल खून के आंसू रुला रही है। किसानों को प्रति किलो गोभी के महज 25 पैसे ही मिल रहे हैं। वहीं खाद की किल्लत ने किसानों को दोहरे संकट में डाल रखा है।
किसानों की बदहाली की यह कहानी बैतूल जिले के मुलताई से सामने आ रही है। यहाँ बंपर पैदावार के चलते किसानों को महज 25 पैसे प्रति किलो के हिसाब से गोभी बेचना पड़ रही है। ऐसे में किसानों की लागत निकलना तो दूर की बात गोभी को तोड़ना तक मंहगा पड़ रहा है।
हाल यह है कि किसान खेतों में ही गोभी को नष्ट कर रहे हैं और कई किसान गोभी के खेतों मेें जानवरों तक को छोड रहे हैं। किसानों का कहना है कि पैदावार बढ़ने से इस बार दाम बिलकुल जमीन पर आ गए हैं और उन्हें जबर्दस्त नुकसान उठाना पड़ रहा है।
दूसरी ओर प्रदेश में किसान खाद संकट से जूझ रहे हैं। खाद के लिए किसानों को लंबी कतारों में लगना पड़ रहा है। सरकार के तमाम दावों के बाद भी किसानों को खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है। जिसका कारण खाद की कालाबाजारी को बताया जा रहा है-
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी खाद संकट को लेकर प्रदेश सरकार पर सवाल उठाए हैं। कमलनाथ ने मंगलवार को लिखा कि प्रदेश का किसान रासायनिक उर्वरक के लिए लगातार परेशान हो रहा है। किसानों की पीड़ा को लेकर प्रदेश के हर क्षेत्र से हर रोज कोई ना कोई नया समाचार आ रहा है, लेकिन प्रदेश सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही है।
कमलनाथ ने कहा कि यह बात जगजाहिर है कि भाजपा सरकार किसान विरोधी है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि अन्नदाता को खाद तक के लिए इतना परेशान किया जाए। मैंने पूर्व में भी इस बारे में सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था और फिर से दोहरा रहा हूं कि प्रदेश के किसानों को तुरंत खाद की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित कराई जाए और सरकार खाद की कालाबाजारी करने वालों को संरक्षण देना बंद करे।