15 स्टेडियम ‘बेचने’ की तैयारी, रेलवे के मैदानों में बनेंगे कमर्शियल माॅल
रेलवे बोर्ड का फैसला खिलाड़ियों व रेल कर्मियों के खिलाफ माना जा रहा है।
Ashok Chaturvedi
परेल (मुंबई) का मैदान, जो लिस्ट में शामिल है।
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) केंद्र सरकार रेलवे के मैदानों का निजीकरण करने जा रही है। रेलवे बोर्ड ने अब 15 शहरों में रेलवे के मैदानों को रेलवे लैंड डेवलपमेंट अथारिटी (आरएलडीए) को सौंप दिया है और अब इन 15 मैदानों में कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाने टेक्नो-इकनॉमिक स्टडी के लिए बोली मंगाई है। हालांकि रेलवे के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है।
बोर्ड ने आरएलडीए से निजी कंसल्टेंसी द्वारा इन स्टेडियम में भविष्य की जा सकने वाली गतिविधियों का आकलन कराने को कहा है जिससे इनमें जरूरी सभी सुविधाएं विकसित की जा सके और कुछ जमीन पर व्यवसायिक गतिविधि भी शुरू की जा सकें। अगर 15 शहरों में निजीकरण की योजना सफल होती है तो अगले चरण में अन्य शहरों के स्टेडियम को भी निजी हाथों में दिया जा सकता है।
अभी जिन 15 मैदानों को लेकर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। उसमें मुंबई के दो स्टेडियमों के अलावा वाराणसी, कोलकाता, भुवनश्वरर, कोलकाता, पटना, चेन्नई, रायबरेली, गुवाहटी, कपूरथला, बैंगलुरू, सिंकदराबाद, रांची, लखनऊ और गोरखपुर में रेलवे के मैदान शामिल हैं।
रेलवे के इस फैसले का ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ने विरोध किया है। फेडरेशन के पदाधिकारियों के मुताबिक सरकार खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के बजाय उनके स्टेडियम व्यवसायिक उपयोग में देना चाहती है। रेलवे बोर्ड के इस कदम का विरोध किया जाएगा।
सोशल मीडिया पर भी सरकार के इस फैसले के विरोध किया जा रहा है-
गौरतलब है कि रेलवे से निकलकर हॉकी, फुटबॉल ,क्रिकेट, कुश्ती, बैडमिंटन, टेबल टेनिस खेलों के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी देश का नाम रोशन कर चुके हैं। इनमें से कई खिलाड़ी इन रेलवे स्टेडियम में ही अभ्यास कर आगे बढ़े हैं। ऐसे में रेलवे बोर्ड का फैसला खिलाड़ियों व रेल कर्मियों के खिलाफ माना जा रहा है।