नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) कृषि कानूनों के मुद्दे पर 16 राजनीतिक दलों ने 29 जनवरी को संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के संबोधन का बहिष्कार करने का फैसला किया है। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को कहा, “बहिष्कार का एकमात्र मुद्दा कृषि कानून हैं और 16 दलों ने संयुक्त रूप से संबोधन का बहिष्कार करने का फैसला किया है।”
संयुक्त बयान में कहा गया है, “भारत के किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सामूहिक रूप से लड़ रहे हैं, जो भाजपा सरकार द्वारा मनमाने ढंग से लागू किए गए हैं। यह भारतीय कृषि के भविष्य के लिए खतरा हैं, जो भारत की 60 प्रतिशत आबादी और करोड़ों किसानों, शेयरक्रॉपर (साझेदारी में खेती करने वाला) और कृषि श्रमिकों की आजीविका है।”
यह भी पढ़ें : ट्रैक्टर रैली : दीप सिद्धू, लखा सिधाना के खिलाफ भी FIR
बयान में कहा गया है, “लाखों किसान अपने अधिकारों और न्याय के लिए पिछले 64 दिनों से ठंड और भारी बारिश का सामना करते हुए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के द्वार पर आंदोलन कर रहे हैं। 155 से अधिक किसानों ने अपनी जान गंवाई है। सरकार अड़ी हुई है और उसने पानी की बौछारों, आंसू गैस और लाठीचार्ज के साथ जवाब दिया है।”
इसमें कहा गया है, “सरकार ने प्रायोजित गलत सूचनाओं के अभियान के माध्यम से एक वैध जन आंदोलन को बदनाम करने का हर संभव प्रयास किया गया है। विरोध और आंदोलन काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा है।”
बयान में यह भी कहा गया है कि दुर्भाग्य से, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 26 जनवरी 2021 को हिंसा की कुछ घटनाएं हुई हैं, जिसकी निंदा की गई है।
बयान में कहा गया है, “हम दिल्ली पुलिस के जवानों को कठिन परिस्थितियों को संभालने के दौरान लगी चोटों पर भी दुख व्यक्त करते हैं। लेकिन हम मानते हैं कि निष्पक्ष जांच से उन घटनाओं में केंद्र सरकार की नापाक भूमिका का पता चलेगा। तीन कृषि कानून राज्यों के अधिकारों पर हमला है और संविधान की संघीय भावना का उल्लंघन करते हैं।”
यह भी कहा गया है कि अगर इन कानूनों को निरस्त नहीं किया जाता है, तो ये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को प्रभावी ढंग से समाप्त कर देंगे जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), सरकारी खरीद और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) पर टिकी हुई है।
संयुक्त बयान में कहा गया है, “कृषि विधेयकों को राज्यों और किसान यूनियनों के साथ बिना किसी परामर्श के लाया गया और इसमें राष्ट्रीय सहमति का अभाव है।”
कृषि कानूनों को अलोकतांत्रिक करार देते हुए कहा गया है कि इन कानूनों की संवैधानिक वैधता सवालों के घेरे में बनी हुई है और प्रधानमंत्री व भाजपा सरकार अपनी प्रतिक्रिया में अभिमानी, अड़े हुए और अलोकतांत्रिक नजर आ रहे हैं। इन चीजों को ध्यान में रखते हुए किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ भारतीय किसानों के साथ एकजुटता में 29 जनवरी, 2021 शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का फैसला किया गया है।
अभिभाषण का बहिष्कार करने वाले विपक्षी दलों में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), आरएसपी, केरल कांग्रेस-एम, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक), जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस (जेकेएनसी), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), समाजवादी पार्टी (सपा), शिवसेना, केरल कांग्रेस और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) शामिल हैं।
(इस खबर के इनपुट आईएएनएस लिए गए हैं।)