बेरोजगारी पर अपनों से घिरी सरकार, BJP सांसद ने पूछा तीखा सवाल
सांसद वरुण गांधी का सवाल- भारत का नौजवान आखिर कब तक सब्र करे?
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) भारत का नौजवान आखिर कब तक सब्र करे? रोजगार को लेकर यह तीखा सवाल विपक्ष का नहीं बल्कि एक भाजपा सांसद का है। देश में लगातार बढ़ती बेरोजगारी को लेकर केंद्र की मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर तो थी ही अब भाजपा में भी बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार से सवाल पूछे जाने लगे हैं। यह स्थिति हर साल दो करोड़ रोजगार का वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार को असहज करने वाली है।
देश के साथ उत्तर प्रदेश की सियासत में इस समय बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा बन चुकी है। हाल ही में उत्तरप्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UP TET) के स्थगित होने से योगी सरकार की पहले ही किरकिरी हो रही है। अब यूपी से ही भाजपा सांसद वरुण गांधी ने रोजगार को लेकर तीखा सवाल खड़ा कर दिया।
उन्होंने सोशल मीडिया पर सवाल किया कि- पहले तो सरकारी नौकरी ही नहीं है, फिर भी कुछ मौका आए तो पेपर लीक हो, परीक्षा दे दी तो सालों साल रिजल्ट नहीं, फिर किसी घोटाले में रद्द हो। रेलवे ग्रुप डी के सवा करोड़ नौजवान दो साल से परिणामों के इंतज़ार में हैं। सेना में भर्ती का भी वही हाल है। आखिर कब तक सब्र करे भारत का नौजवान??
वरुण गांधी के सवाल को पूरे देश में रोजगार की स्थिति का आइना बताया जा रहा है क्योंकि बेरोजगारी को लेकर देश भर में युवाओं का आक्रोश दिखाई दे रहा है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही सरकार के आंकड़ों से खुलासा हुआ था कि देश में बेरोजगारी 45 साल के शीर्ष पर है। इस हालात में भी सरकार या तो नौकरी के लिए विज्ञापन नहीं नहीं निकाल रही और निकाल रही है तो परीक्षाओं का आयोजन नहीं हो रहा।
2019 लोकसभा चुनाव से पहले रेलवे ग्रुप डी के लिए एक लाख पदों के लिए निकाली गई रिक्तियों की परीक्षा अब तक नहीं हुई है। वहीं मध्यप्रदेश में शिक्षक भर्ती की प्रकिया भी तीन सालों में पूरी नहीं हुई है। ये हाल किसी एक प्रदेश का नहीं बल्कि पूरे देश का ही कहा जा सकता है। सरकारी विभागों में ही 30 लाख से ज्यादा पद रिक्त होने की बात सामने आ चुकी है।
दूसरी ओर वरुण गांधी के इस सवाल को भाजपा की अंदरूनी राजनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है। वरुण गांधी ने किसान आंदोलन का भी पार्टी लाइन के विपरीत जाकर समर्थन किया था। अब बेरोजगारी पर वरुण गांधी की मुखरता को यूपी में उनकी प्रेशर पॉलिटिक्स भी बताया जा रहा है।